कोरोना से जंग जीतकर पुनः काम पर वापस लौटे डॉ एसपी मिश्रा
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जौनपुर। जिले में तैनात स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी के सगे भाई की जान कोरोना ने ले लिया और उन्हें भी अपने चंगुल में ले लिया था इसके बावजूद लेकर वे महामारी से जंग जीतकर अपने काम पर लौट आये है , एक बार फिर से कोविंद मरीजों की सेवा शुरू कर दिया है। जिले के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एसपी मिश्रा स्वयं तो कोरोना से ठीक हुए लेकिन वह अपने भाई को कोरोना से गंवा बैठे। बावजूद इसके डरे नहीं और कोरोना उपचाराधीनों की देखभाल में लग गए। अपनी हर जिम्मेदारियों को फिर से निभाने लगे। भाई की तेरहवीं हो जाने के बाद फिर से विभाग में सक्रिय हैं। बात हो रही है स्वास्थ्य विभाग की ऐसी शख्सियत की जिनके पास छह कार्यक्रमों के नोडल अधिकारी का चार्ज है।
एसीएमओ डॉ एसपी मिश्रा ही कोविड पॉजिटिव को कोविड अस्पताल अलाटमेंट का काम देखते हैं। हर दिन सुबह के समय मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय पहुंचने पर कोविड पॉजिटिव की संख्या का पता लगाते हैं। साथ ही तय करते हैं कि उन्हें किस कोविड हॉस्पिटल में भेजना है। गांव वार कोरोना मामलों की संख्या देखते हैं कि किस गांव में कितने मामले निकले हैं। यह लिस्ट तैयार कर छह बजे तक कोविड कंट्रोल रूम को उपलब्ध कराते हैं। जहां से यह सूची संबंधित उप जिलाधिकारी (एसडीएम) और ब्लॉक विकासखंड अधिकारी (बीडीओ) को भेजी जाती है और वह देखते हैं कि उन जगहों पर कैंटेनमेंट जोन बना या नहीं।
डॉ एसपी मिश्रा ही विभाग की तरफ से निकलने वाले टेंडर का काम विभाग की तरफ से बतौर एक्सपर्ट देखते हैं और अपने निर्णयों से मुख्य चिकित्सा अधिकारी को अवगत कराते हैं। जिला महिला तथा जिला पुरुष चिकित्सालयों से भी निकलने वाले टेंडर की प्रक्रिया में शामिल होते हैं। किसान दुर्घटना बीमा मामले में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सदस्य हैं। इस समय कलक्ट्रेट स्थित भूलेख आफिस में भूलेख बाबू के साथ मिलकर इन मामलों को भी निपटा रहे हैं। मानव अंग प्रत्यारोपण विभाग के नोडल हैं और किडनी ट्रांसप्लांट के नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) देने का काम करते हैं। जन सूचना अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई सूचना के मामले भी देखते हैं। विभाग की तरफ से इंटीग्रेटेड ग्रीवांस रीड्रेसर सेल (आईजीआरएस) के भी नोडल अधिकारी हैं और विभाग की जितनी भी शिकायतें आती हैं, उन्हें भी देखते हैं। कोविड-19 से संबंधित रैपिड एंटीजन टेस्ट किट से टेस्ट के बाद पोर्टल पर फीडिंग के भी वह नोडल हैं। वेक्टर बार्न डिजीज नोडल अधिकारी हैं और जिला मलेरिया अधिकारी भानु प्रताप सिंह के सहयोग से इसका भी काम देखते हैं।
12 अप्रैल को आरटीपीसीआर जांच में कोविड पॉजिटिव होने का पता चला और उस दिन से लेकर 26 अप्रैल तक वह आइसोलेट रहे। वहां से ठीक भी नहीं हुए थे कि कोरोना के चलते 28 अप्रैल को परिवार की आर्थिक ताकत अपने बड़े भाई को गंवा बैठे। अपने भाई की तेरहवीं का कार्य पूरा कर 11 मई से जिम्मेदारियों को लेकर सक्रिय हैं।