प्रभु जगन्नाथ हुए बीमार , किये गए 15 दिन के लिए क्वारंटाइन

जौनपुर। पौराणिक मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन अधिक तपन युक्त गर्मी होने के कारण प्रभु जगन्नाथ ज्येष्ठ भ्राता बलभद्र व बहन सुभद्रा तीनों लोगों ने 108 घड़े के जल से स्नान कर लिया। इसके पश्चात प्रभु शीत विकारक समस्याओं से ग्रसित हो गए। अस्वस्थता के कारण प्रभु 15 दिन एकांतवास में चले गए। आम जनमानस के लिए प्रभु के मंदिर का पट 15 दिनों के लिए बंद कर दिया गया है। एकांतवास में प्रभु को मुलेठी, अदरक, दालचीनी, गिलोय, गुड़ आदि के औषधियुक्त काढ़े का भोग लगाया जा रहा है। 

 आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन प्रभु का स्वास्थ्य परीक्षण होता है। शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन चिकित्सकों के परामर्श के अनुसार औषधियों का परिवर्तन व द्वितीया के दिन प्रभु को राजसी खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। तत्पश्चात परंपरानुसार भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकलती है। वर्तमान में फैली महामारी के इस दौर में 15 दिन के एकांतवास में रहकर इससे निवृत्ति पाई जा सकती है। ऐसा संदेश प्रभु जगन्नाथ के इस परंपरा से प्राप्त हो रहा है। इस अवसर पर आचार्य डाक्टर रजनीकांत द्विवेदी, शशांक सिंह, शिव शंकर साहू, मनोज मिश्र, जगदेव सेठ आदि रहे।

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