सीएचसी डोभी लगातार पांचवें वर्ष टॉप 10 में
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जौनपुर। कायाकल्प अवार्ड योजना में वर्ष 2021-22 के लिए जनपद की आठ स्वास्थ्य इकाइयां पुरस्कृत हुई हैं। इस पर सीएमओ डॉ लक्ष्मी सिंह ने सभी सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक व स्टाफ को बधाई दी। इसके साथ ही शेष सीएचसी को भविष्य में बेहतर प्रदर्शन करने की बात कही। उन्होंने सभी स्वास्थ्य इकाइयों के कायाकल्प योजना में प्रमाणित करवाने को कहा है।
सीएमओ ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में कायाकल्प अवार्ड योजना चलाई जा रही है। इसके माध्यम से मरीजों की संतुष्टि, स्वास्थ्यकर्मियों का व्यवहार-आचरण, अस्पताल में मिलने वाली सुविधाओं, रख-रखाव तथा मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार आदि मानकों को परखा जाता है। अस्पताल कर्मचारियों का स्वास्थ्य, उनका आचरण-व्यवहार, अस्पतालों में होने वाले इन्फेक्शन से बचाव, सभी अस्पतालकर्मियों के लिए ड्रेस कोड पालिसी तथा मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों को दी जाने वाली सुविधाओं का भी मूल्यांकन किया जाता है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) सत्यव्रत त्रिपाठी ने बताया कि इस वर्ष कायाकल्प अवार्ड योजना में जनपद के आठ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का केंद्र सरकार की ओर से नामित राज्य स्तरीय टीम ने नवम्बर 2021 से इस वर्ष फरवरी तक मूल्यांकन किया। केंद्र सरकार ने 30 मई को इसका परिणाम भी घोषित कर दिया। इसमें जनपद के आठ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) सफल हुए। लगातार पांचवें वर्ष सीएचसी डोभी ने इस अवार्ड में टॉप-10 में जगह बनाई। इस वर्ष उसे तीसरा स्थान मिला है। सीएचसी रेहटी, शाहगंज और नौपेड़वा ने पहले प्रयास में इसमें जगह बनाई। सीएचसी रेहटी को 18वां और शाहगंज को 43वां स्थान मिला। सीएचसी मछलीशहर 53वें स्थान पर है। बरसठी लगातार दूसरे वर्ष कायाकल्प योजना में पुरस्कृत हुआ है। इस बार उसे 55वां स्थान मिला है। मुफ्तीगंज 99वें, बदलापुर 193वें तथा नौपेड़वा 198वें स्थान पर पुरस्कृत हुआ है।
क्या-क्या सहूलियतें - सीएमओ डॉ लक्ष्मी सिंह कहतीं हैं कि अस्पताल के कर्मचारियों का व्यवहार ही नहीं, यदि किसी मरीज ने किसी सहूलियत की मांग की तो वह भी उपलब्ध कराई जाती है। इसके लिए मरीजों का फीडबैक भी लिया जाता है। सीएचसी डोभी के ओपीडी में पहले मरीजों और तीमारदारों के बैठने की व्यवस्था नहीं थी। मरीजों से जानकारी होने पर 100 मरीजोंध्तीमारदारों को एक साथ बैठने की व्यवस्था करा दी गई। पीने के पानी के लिए वाटर कूलर लगाया गया। लेबर रूम में निजता के लिए प्रसूताओं के हर बेड के हिसाब से पर्दे लगे। उनकी सुविधा के लिए पश्चिमी सभ्यता के शौचालय बना। जननी सुरक्षा योजना के तहत दिन में दो बार खाना और नाश्ता दिया जाता है जिसकी गुणवत्ता की जांच के लिए दो अधिकारी नोडल नामित हैं। वे हर दिन भोजन की गुणवत्ता जांचते हैं। दिनभर में तीन बार साफ-सफाई की जाती है। संक्रमण पर काबू पाने के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया।
क्वालिटी एश्योरेंस के जिला सलाहकार डॉ क्षितिज पाठक बताते हैं कि किसी भी स्वास्थ्य इकाई को कायाकल्प योजना में पुरस्कृत होने के लिए तीन चरणों से गुजरना होता है। पहले चरण में हॉस्पिटल के कर्मचारी और जिला क्वालिटी टीम चिकित्सालयों का मूल्यांकन करती है जिसमें 70 प्रतिशत या उससे अधिक अंक पाने पर राज्य की ओर से नामित दूसरे जिले की क्वालिटी टीम उसका क्रास वेरीफिकेशन करती है। इसमें 70 प्रतिशत या उससे अधिक अंक पाने पर उसका अंतिम मूल्यांकन किया जाता है जिस में 70 प्रतिशत या उससे अधिक अंक पाने पर प्राप्त अंकों के आधार पर जिला वार रैंकिंग तैयार की जाती है। किसी भी स्वास्थ्य इकाई का मूल्यांकन इन सात बिन्दुओं पर किया जाता है।