पेसारा गौशाला प्रकरण में पत्रकारों की अपील को हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान

 केराकत, जौनपुर। स्थानीय पेसारा गांव में स्थित स्थाई गौशाला में मरणासन्न गोवंशों की हो रही दुर्दशा से संबंधित फोटो व वीडियो के साथ खबर को प्रकाशित करने वाले चार पत्रकारों पर गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया गया।

जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को मामले से अवगत कराने के बाद भी मामले को गंभीरता से न लेने पर पत्रकारों ने हाईकोर्ट पहुंच अपनी याचिका दायर की जिसके बाद हाई कोर्ट ने सोमवार की सुबह मामले की सुनवाई की सुनवाई कर रहे जस्टिस अंजनी मिश्रा और जस्टिस नन्द प्रभा शुक्ला दलित एक्ट के मुकदमे को संज्ञान में लेते हुए नोटिस जारी कर 3 सप्ताह के अंदर जवाब देने को कहा है।
विडंबना तो देखिए स्थानीय प्रशासन के सह पर महिला ग्राम प्रधान जो दलित वर्ग की है, उसको आगे खड़ा करते हुए गंभीर धाराओं में 4 पत्रकारों खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया था। अपनी नाकामी पर पर्दा डालने के हड़बड़ाहट में प्रशासन व प्रधान प्रधान यह भी भूल बैठी कि जिन पत्रकारों को फर्जी मुकदमे में फंसाया जा रहा है, उन पत्रकारों में स्वयं विनोद कुमार दलित समाज से हैं जिनको विनोद यादव बताकर उन पर भी दलित एक्ट के तहत मुकदमा पंजीकृत करा दिया गया। साथ ही दी गई तहरीर में एक तरफ चार पत्रकारों को फर्जी बताया गया। वहीं नीचे पत्रकारों के नाम के आगे उनके अखबारों के नाम को भी दर्शाया गया। बहरहाल जांच का विषय है। पत्रकारों का कहना है कि मामले की निष्पक्ष जांच करा कर मामले में दोषी पाये जाने वालों के खिलाफ विधिक कार्यवाही होनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटना दोबारा न घटित हो सके।
उल्लेखनीय है कि मुकदमे के आरोपी पंकज सिंह सहित तीन अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिकाकर्ता की ओर से राकेश ओझा और जितेंद्र सिंह ने बहस किया।

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