हरे चारे और पानी की कमी से जूझ रही हैं भेड़-बकरियां

जौनपुर। तेज धूप और गर्म हवाओं के चलते इंसानों के साथ साथ पालतू जानवरों का जीवन भी प्रभावित हो रहा है।गाय भैंस भेड़ बकरियों को लेकर पशुपालक सुबह जल्दी ही चरागाहों की ओर निकल जाते हैं।भीषण गर्मी और तेज धूप के कारण सुबह 9 से 10 बजे तक जानवरों को लेकर घर वापस आना पड़ता है।भीषण तपिश के कारण चारागाहों में नाम मात्र की घास बची है तीन- चार घंटे चरने मात्र से जानवरों के पेट नहीं भर पाते हैं।गाय भैंसों को भूसा और किसानों द्वारा उगाया हरा चारा देकर उनकी क्षुधा पूर्ति का काम चल जाता है लेकिन सबसे अधिक दिक्कत भेड़ बकरियों को लेकर है। सुबह और शाम दोनों मीटिंग चराने के बावजूद उनके पेट पूरी तरह से नहीं भर पा रहे हैं।यह विकास खंड मछलीशहर के गांव बामी का दृश्य है जहां तेज धूप और भीषण गर्मी से बचने के लिए चारागाह में ही एक पीपल पेड़ की छाया में भेड़ों के साथ पशुपालक शरण लिए हुए है।बसुही नदी किनारे बसे बामी, राजापुर, नरसिंहपुर, ऊंचडीह,देवकीपुर, अमोध, भटेवरा आदि गांवों में आज भी बड़ी संख्या में लोग भेड़ बकरियां पालते हैं। गांव बामी के राम सरन पाल कहते हैं कि हरे चारे के साथ- साथ भेड़ बकरियों को पानी की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है। गर्मी से निजात के लिए भेड़ों को नहलाना ही एक मात्र रास्ता है। लेकिन बसुही नदी में पानी न होने के कारण उन्हें भेड़ों को नहलाने के लिए  देवकीपुर और मोलनापुर के ताल में जाना पड़ता है।भेड़ों के बालों की उतराई बरसात शुरू होने पर जून के महीने में शुरू होगी। बड़े बालों के चलते भेड़ सुबह से ही चरागाहों में हांफने लगती हैं।

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