राजनीति का अपराधीकरण लोकतंत्र के लिए खतरनाक : हाई कोर्ट
प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपहरण और जबरन वसूली में शनिवार को जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह व सह अभियुक्त संतोष विक्रम की जमानत मंजूर कर ली है। कोर्ट ने इसी प्रकरण में धनंजय और संतोष की सजा निलंबित करने से इन्कार कर दिया है। अब यदि सुप्रीम कोर्ट सजा स्थगित नहीं करता है तो वह लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। जौनपुर की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने उन्हें सात वर्ष की कैद की सजा सुनाई है।न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने पूर्व सांसद की अपील पर यह आदेश सुनाया।
कोर्ट ने अपने फैसले में कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियां भी की हैं। कोर्ट ने कहा कि राजनीति का अपराधीकरण लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। राजनीतिक शुचिता जरूरी है। लंबे आपराधिक इतिहास वाला व्यक्ति सांसद बनकर कानून बनाने वाला बने तो यह जनतांत्रिक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा होगा। राजनीति का अपराधीकरण सही नहीं है। कोर्ट ने कहा कि गवाहों के मुखर नहीं होने व सुबूतों के अभाव में याची 28 केसों में बरी हो चुका है, लेकिन अब भी दस केस चल रहे हैं। सांसद या विधायक सजा पर रोक लगाने की कोशिश करते हैं, क्योंकि सजा रहने पर चुनाव नहीं लड़ पाते। ऐसा कोई स्ट्रेट जैकेट फार्मूला है, जिसके अनुसार सजा पर रोक लगाई ही जाए। यह अपराध की गंभीरता तथा आपराधिक इतिहास पर निर्भर करता है।
पूर्व सांसद के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता सगीर अहमद, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सुधीर, वालिया, अधिवक्ता कार्तिकेय सरन व एसपी सिंह ने बहस की थी। राज्य सरकार का पक्ष अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव एवं अपर शासकीय अधिवक्ता जेके उपाध्याय, विकास सहाय और दीपक मिश्र ने रखा था।