बेड़ी कभी देखी, कभी अफलाख को देखा, मुड़-मुड़कर कभी जैनब के रूखे पाक को देखा
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जौनपुर। 29 मोहर्रम को नगर में कई स्थानों पर मजलिस मातम व शब्बेदारियों का सिलसिला चलता रहा। मुफ्ती मोहल्ला स्थित मजलिस मुफ्ती हाउस में इमाम जैनुल आब्दीन की शहादत की याद में मजलिस हुई जिसको मौलाना बाकर मेंहदी आब्दी ने खेताब किया। मजलिस के बाद शबीहे ताबूत, अलम व जुलजनाह का जुलूस निकाला गया। जो अपने कदीम रास्तों से होता हुआ कैसर मंजिल पहुंचकर समाप्त हुआ। अंजुमन सज्जादिया ने पूरे रास्ते नौहा व मातम किया। इस मौके पर वसीउल हसन मुफ्ती, एखलाक हुसैन हसन जाहिद खां बाबू, अनवार आब्दी, हुसैन अहमद, ताबिश काजमी, फैसल हसन तबरेज, रिजवान हैदर राजा सहित अन्य लोग मौजूद रहे। पेशखानी शबाब जौनपुरी व फरमान जौनपुरी ने किया। सोजख्वानी इमाम हैदर जैदी व उनके हमनवां ने पढ़ा। वहीं अंजुमन तंजीमे अजा हुसैन की कदीम तरही शब्बेदारी इमामबाड़ा कल्लू मरहूम में 24 घंटे तक लगातार चलने के बाद रविवार की देर रात समाप्त हुई। अलविदाई मजलिस को पढ़ते हुए डा. कमर अब्बास ने कहा कि आज पूरी दुनिया इमाम हुसैन का गम मना रही है। वो न दिन देख रहे है न रात बस या हुसैन, या हुसैन कर उन्हें नजराने अकीदत पेश कर रहे है। शब्बेदारी में शहर की सभी अंजुमनों के अलावा हरिद्वार, फतेहपुर, फैजाबाद, इलाहाबाद, पोपागंज मऊ, अम्बेडकरनगर, बनारस, गाजीपुर सहित अन्य अंजुमनों ने पूरी रात नौहा व मातम किया। संचालन अर्शी वास्वी ने व आभार शौकत अली मुन्ना व तहसीन शाहिद ने प्रकट किया। इस मौके पर हसीन अहमद बाबू, शकलेन अहमद, वजीरुल हसन, मुन्ने राजा सहित अन्य लोग मौजूद थे।