धनतेरस : अखंड दीप जलाने से निर्धन व्यक्ति भी हो जाता है धनवान
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जौनपुर: भगवान धन्वंतरि के प्राकट्य दिवस का महान पर्व धनतेरस का सुखद संयोग 12 नवंबर गुरुवार को है। गुरुवार का दिन, देव गुरु वृहस्पति का संचरण अपने मूल त्रिकोण राशि धनु में चल रहा है। ज्योतिष एवं तंत्र आचार्य डा. शैलेश मोदनवाल के अनुसार इस दिन हस्त नक्षत्र का संचरण उदया तिथि से रात्रि 12.08 बजे तक रहेगा। दिन में द्वादशी तिथि जबकि सायंकाल 6.32 बजे के बाद त्रयोदशी लग जाएगी। दिन में 2.23 बजे के बाद प्रीति योग मिलेगा। जिसके स्वामी भगवान विष्णु हैं। इस योग में संपन्न किए गए शुभ कार्य फलीभूत होते हैं जिससे मान-सम्मान और यश की प्राप्ति होती है।
धनतेरस का पर्व प्रदोष कालीन त्रयोदशी तिथि में ही संपन्न होता है। इस दिन आरोग्यता की प्राप्ति के निमित्त भगवान धन्वंतरि देव की पूजा गंध, पुष्प, धूप व दीप आदि के द्वारा प्रदोष काल में की जाती है। इसी दिन अकाल मृत्यु के भय से निवारण के लिए घर के बाहर वैदिक देवता यम के निमित्त दीप प्रज्ज्वलित कर उनकी पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि धनतेरस के दिन से ही घर में धन और वैभव की देवी माता लक्ष्मी का वास हो जाता है। तंत्र शास्त्र के अनुसार धनतेरस की शाम से दीपावली की रात्रि तक अपने पूजा घर में अखंड दीप जलाने से निर्धन व्यक्ति भी धनवान हो जाता है। इसी दिन धनाध्यक्ष नौ निधियों के अधिपति कुबेर की उपासना पांच घड़ों को भरकर लोग उनकी कृपा प्राप्त करते हैं। इसी दिन चांदी एवं सोने का क्रय विशेष शुभ होता है। नए बर्तनों को खरीद कर पूजन करने की परंपरा भी है।