अंजुमन हुसैनिया की शब्बेदारी में हुआ नौहा मातम
जौनपुर। नगर के बलुआघाट मोहल्ला स्थित मकबूल मंजिल में शनिवार की रात अंजुमन हुसैनिया क ऐतिहासिक तरही ऑल इंडिया शब्बेदारी का 80वां दौर शुरू हुआ जो रविवार की सुबह खत्म हुआ। जिसमें देश की मशहूर कई अंजुमनों के अलावा शहर की प्रमुख अंजुमनों ने पूरी रात कर्बला के सबसे छोटे शहीद अली असगर की याद में अपने दर्द भरे कलाम पेश किया।
अलविदाई मजलिस के बाद गहवारे अली असगर और अलम, ताबूत निकाला गया जिसकी जियारत के लिए हजारों लोग मौजूद रहे। शब्बेदारी का आगाज तिलावते कलाम-ए-पाक से मोहम्मद जफर खान आज़मी ने किया। पेशखानी हसन फतेहपुरी ने अपने कलाम पेश किये। सोजख्वानी सैयद गौहर अली ज़ैदी व सैयद अली काविश व उनके हमनवा ने पढ़ा। मजलिस को खेताब करते हुए मौलाना सैयद मोहम्मद अकील हुसैनी बनारस ने कहा कि इमाम हुसैन के सबसे छोटे बेटे जनाब अली असगर जिनकी उम्र छह माह की थी,यजिदी फौजों ने उस वक्त कर्बला के मैदान में तीन भाल के भारी भरकम तीर से इमाम के हाथों में शहीद कर दिया। जब वे यजिदी फौजों से इस बच्चे के लिए दो कतरा पानी पिलाने के लिए मांग रहे थे। अली असगर तीन रोज के भूखे-प्यासा थे पर जालिमों को उनपर भी रहम नही आया। इस दर्दनाक मंज़र को सुनकर लोग दहाड़े मारकर रोने लगे। इसके बाद नौहा मातम का सिलसिला शुरू हुआ जिसमें अंजुमन दस्ताने मासूमिया घोसी मऊ ने अपने नौहे पेश कर पूरा माहौल गमगीन कर दिया। मिसरे तरह ''रन मे कुर्आने अतश हाथों पर सरवर ले गये'' हसन फतेहपुरी'' व ''हुक्म ये था कि असीरों को सताते जाएं'' माएल चंदौलवी पर पूरी रात अंजुमन गुंचाए अब्बासिया बाराबंकी, अंजुमन हाशमिया दरियाबाद इलाहाबाद, अंजुमन अंसारे हुसैनी मुबारकपुर, अंजुमन बज्में अब्बासिया फैजाबाद और अंजुमन हैदरिया मनियारपुर सुलतानपुर के अलावा शहर की प्रमुख अंजुमनों ने अपने दर्द भरे नौहे पढ़ कर कर्बला के सबसे कमसिन शहीद अली असगर को नजराने अकीदत पेश किया। अलविदाई मजलिस मौलाना मेराज हैदर खान आजमगढ़ ने पढ़ा इसके बाद शबीहे ताबूत, अलम, झूला अली असगर निकाला गया। अंजुमन हुसैनिया के नौहे खां अदीब ने अपने दर्द भरे नौहे पढ़ कर माहौल गमगीन कर दिया। शब्बेदारी का संचालन सहर अर्शी बड़ागाँव ने किया। आभार अध्यक्ष मोहम्मद मेंहदी अब्बास रूमी व महासचिव मिर्ज़ा जमील ने प्रकट किया।