नारियों को स्वयं के अस्तित्व पर चिंतन करना चाहिए
जौनपुर। शुक्रवार को अस्मिता मूलक विमर्श के अन्तर्गत स्त्री मुक्ति एवं सशक्तिकरण विषय पर सल्तनत बहादुर व्याख्यान माला के तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन प्राचार्य प्रोफेसर सुनील प्रताप सिंह निर्देशन में हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर धीरेन्द्र कुमार पटेल द्वारा किया गया। कार्यक्रम मेंअध्यक्ष प्राचार्य प्रोफेसर सुनील प्रताप सिंह , मुख्य अतिथि वक्ता विदुषी सुप्रसिद्ध कवयित्री रुपम मिश्र , विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर डी के पटेल आंग्ल भाषा के विभागाध्यक्ष डा बृजेश मिश्र रहे। स्वागत हिंदी विभाग की सहायक आचार्य डा रेखा मिश्रा ने किया।
विषय प्रवर्तन हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डा रोहित सिंह ने किया। मुख्य वक्ता रुपम मिश्र जी ने नारी की सामाजिक
स्थिति पर अपने विचार व्यक्त करते हुए संदेश दिया कि शोषक की मनोवृत्ति शोषित को नहीं अपनाना चाहिए। नारियों को स्वयं के अस्तित्व पर चिंतन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त अन्य नारी सम्बंधित विविध वैषम्य पर कविता पाठ करके वस्तु स्थिति को बिम्बित करके कार्य क्रम को सुंदरता प्रदान किया। कार्य क्रम में डा ओ पी दुबे विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र, डा तिलक यादव सहायक आचार्य भूगोल विभाग, अभिषेक गौरव सहायक आचार्य समाज शास्त्र विभाग, डा शशिकला सिंह सहायक आचार्य संस्कृत विभाग, डा विनय दुर्गेश विभागाध्यक्ष संस्कृत विभाग, डा अशेष उपाध्याय सहायक आचार्य अर्थ शास्त्र विभाग, डा संतोष सिंह सहायक आचार्य भूगोल विभाग, डा अंसारी सहायक आचार्य बी सी ए विभाग और अन्य गणमान्य प्रबुद्ध प्राध्यापक वृंद की गरिमामयी उपस्थिति रही।
महाविद्यालय के छात्र छात्राओं की उपस्थिति अधिक मात्रा में रहीअंत में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में वर्तमान प्राचार्य प्रोफेसर सुनील प्रताप सिंह जी ने कहा कि नारी मुक्ति और सशक्तिकरण में कथ्य और कर्म दोनों समान होने चाहिए। आभार ज्ञापन पूर्व प्राचार्य प्रोफेसरब्रजेन्द्र सिंह जी ने आध्यात्मिक आख्यान प्रस्तुत करते हुए किया।विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर डी के पटेल जी ने स्त्री मुक्ति और सशक्तिकरण करण पर प्रकाश डाला।डा बृजेश मिश्र जी ने स्त्री विमर्श में तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला।जिसमें प्राचीन और अर्वाचीन का संतुलन भी शामिल था।कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग की सहायक आचार्य डा पूनम श्रीवास्तव ने किया।