अरन्द गांव में तेंदुए की दहशत
रिपोर्ट: इन्द्रजीत सिंह मौर्य
खेतासराय, जौनपुर। शाहगंज कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले अरन्द गांव में शुक्रवार की दोपहर दो खूंखार तेंदुओं के देखे जाने से पूरे गांव में दहशत का माहौल व्याप्त हो गया है। ग्रामीण भय के कारण खेतों में जाना छोड़ चुके हैं और बच्चों को घरों से बाहर निकलने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।ग्रामीण जयसिंह गौतम, सत्यम गौतम, अभिषेक गौतम, राम भारत प्रजापति और विशर सेन गौतम ने बताया कि यह आदमखोर तेंदुआ फूलपत्ती देवी (स्व. रामकुबेर गौतम) के खेतों में घूमता देखा गया। यह वही तेंदुआ है, जिसने एक सप्ताह पहले गांव की विधवा शिला राजभर के घर घुसकर उसकी पांच बकरियों को मार डाला था।
ग्रामीणों का कहना है कि तेंदुआ बकरियों को मारने के बाद उनका खून पी गया और कलेजी खा गया। बाकी शरीर को वैसे ही छोड़ दिया। इस भयानक हमले के बावजूद वन विभाग की लापरवाही बनी रही।
वन विभाग पर उठे सवाल
ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग केवल कागजी खानापूरी में जुटा है। जिला वन अधिकारी और शाहगंज के वन रेंजर ने खुद मौके पर पहुंचना भी जरूरी नहीं समझा। केवल एक वन दरोगा और एक कर्मचारी को भेजकर जिम्मेदारी पूरी कर ली गई। मौके पर पहुंचे अधिकारी भी आदमखोर तेंदुए को पकड़ने के बजाय ग्रामीणों को यह समझाने में लगे रहे कि यह तेंदुआ नहीं, बल्कि कोई छोटा जंगली जानवर हो सकता है।
भरौली में भी फैला था आतंक
इससे पहले भरौली गांव में भी इसी तरह के भेड़िए या तेंदुए का आतंक देखा गया था, जहां आधा दर्जन बकरियों को शिकार बनाया गया था। इसके बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
गांव में गहराया डर और आक्रोश
शुक्रवार को जब दो तेंदुए एक साथ गांव में देखे गए, तो पूरे गांव में अफरा-तफरी मच गई। लोगों में वन विभाग के प्रति गहरा रोष है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि शीघ्र कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया, तो किसी बड़ी जनहानि की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि त्वरित प्रभाव से विशेषज्ञ वनकर्मियों की टीम भेजकर आदमखोर तेंदुए को पकड़ा जाए और गांव की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।