गर्मी का मौसम आते ही पानी के लिए जानवर भी हुए बेहाल
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जौनपुर। 'प्यास सबको लगती है, गला हर किसी का सूखता है...' जी हां, टीवी
पर एक शीतल पेय के प्रचार में कहा जाने वाला ये वाक्य आज उस वक्त
शत-प्रतिशत चरितार्थ हो गया। समूचे उत्तर भारत में पड़ रही भीषण गर्मी और
लू से इंसान ही नहीं पशु-पक्षी भी बेहाल हैं। प्यास से बेहाल जीव-जन्तु
जहां कहीं भी दो घूंट पानी के मिले गटक लेने में ही खैरियत समझ रहे हैं।
ऐसा ही एक नजारा मछलीशहर तहसील परिसर में देखने को मिला। यहां शुक्रवार को
एक प्यासे बंदर ने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया। दरअसल, बंदरों की
टोली तहसील परिसर में मौजूद पेड़ों पर धमाचौकड़ी मचाती रहती है। आजू-बाजू
के बाजारों में भी इन बंदरों की उछलकूद चलती ही रहती है। इसी बीच शुक्रवार
को जब तहसील के हाते में बैठे अधिवक्ताओं अपने-अपने मुवक्किलों को कानूनी
सलाह दे रहे थे तभी उनके बीच एक बंदर आ धमका।
बंदर को देख पहले तो वकील और वहां मौजूद मुवक्किल सहम गये। इसबीच बंदर ने
भी बिना किसी को नुकसान पहुंचाए चुपचाप वकील साहब की टेबल पर रखी बिसलरी की
बोतल खोली और पानी गटकना शुरू कर दिया। यह देख अधिवक्ता भी भावुक हो उठे
और बंदर को भरपेट पानी पीते देखते रहे। पानी पीकर बंदर भी आराम से बिना
किसी को नुकसान पहुंचाए वहां से चला गया।
लोग देर तक इस बात पर चर्चा करते रहे कि आधुनिक युग में जहां हर तरफ सिर्फ
कंकरीट के जंगल ही दिखाई दे रहे हों और तालाब, पोखर या तो सूख चुके हों या
फिर अवैध कब्जे की भेंट चढ़ गये हों, वहां भला जीव-जन्तुओं के लिए पानी
कहां नसीब होगा। ऐसे में धरती पर हमारे ये साथी जीव कहां जाएंगे। ईश्वर ने
धरती हम सब में बराबर बांटी है लेकिन इंसानों ने सभी प्राकृतिक स्रोतों पर
अपना मालिकाना हक जमा रखा है।