योगी के इस्तीफा देते ही टूट गया गोरखपुर से गोरक्षपीठ का 28 वर्षों का 'रिश्ता'!
http://www.shirazehind.com/2017/09/28.html
गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एमएलसी चुने जाने के बाद अपने गोरखपुर सांसद के पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। जिसके बाद ही गोरखपुर सांसद पद से गोरखनाथ धाम का 28 साल पुराना राजनीतिक रिश्ता टूट चुका है। गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ यहां से लगातार पांच बार सांसद रह चुके हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में गोरखपुर के सांसद पद से इस्तीफ़ा दिया है। जिसके बाद गोरखपुर सांसद पद से गोरखनाथ धाम का 28 साल पुराना रिश्ता टूट चुका है। साल 1989 से गोरखपुर सांसदी की सीट गोरक्षपीठ के पास ही है। 1989 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ गोरखपुर से दोबारा चुने गए थे। उससे पहले वे 1970 में सबसे पहले यहां से सांसद बने थे।
1989 से लगातार सांसद की सीट गोरक्षपीठ के पास है
हालांकि इसके बाद 4 बार यह सीट अन्य लोगों को मिली थी, लेकिन 1989 से यह सीट गोरक्षपीठ के पास ही है। महंत योगी आदित्यनाथ को महंत अवैद्यनाथ की तबियत ठीक न होते हुए सांसद पद के लिए आगे किया गया। साल था 1998 जब महंत योगी आदित्यनाथ पहली बार गोरखपुर से सांसद चुने गए, जिसके बाद योगी आदित्यनाथ लगातार 1999, 2004, 2009 और 2014 में सांसद चुने गए थे।
कौन संभालेगा महंत योगी आदित्यनाथ की विरासत?
योगी आदित्यनाथ 5 बार गोरखपुर से सांसद चुने जा चुके हैं। सिर्फ चुने नहीं गए हैं, बल्कि हर बार की जीत में पिछले बार मिले वोटों से अधिक वोट भी उन्हें मिले। जिसके बाद सवाल यह उठता है कि, 28 साल बाद इस विरासत का उत्तराधिकारी कौन होगा?सूत्रों की मानें तो सांसद पद का दावेदार कोई ऐसा ही व्यक्ति होगा, जिसे पीठ का संरक्षण प्राप्त होगा।
सामंजस्य बैठा सकने वाला होगा उत्तराधिकारी!
साथ ही साथ वह व्यक्ति पीठ के महत्व और राजनीतिक भूमिका में सामंजस्य बैठा सके। गौरतलब है कि, पीठ के अगले दावेदार का चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही करेंगे। ज्ञात हो कि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही गोरक्षपीठ के महंत हैं।
दोनों, मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री दे चुके हैं इस्तीफा
वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी इलाहाबाद की फूलपुर सीट से बतौर सांसद इस्तीफ़ा दे दिया था। जिसके बाद अगले 6 महीने में गोरखपुर और फूलपुर सीट पर सांसद के उपचुनाव हो सकते हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में गोरखपुर के सांसद पद से इस्तीफ़ा दिया है। जिसके बाद गोरखपुर सांसद पद से गोरखनाथ धाम का 28 साल पुराना रिश्ता टूट चुका है। साल 1989 से गोरखपुर सांसदी की सीट गोरक्षपीठ के पास ही है। 1989 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ गोरखपुर से दोबारा चुने गए थे। उससे पहले वे 1970 में सबसे पहले यहां से सांसद बने थे।
1989 से लगातार सांसद की सीट गोरक्षपीठ के पास है
हालांकि इसके बाद 4 बार यह सीट अन्य लोगों को मिली थी, लेकिन 1989 से यह सीट गोरक्षपीठ के पास ही है। महंत योगी आदित्यनाथ को महंत अवैद्यनाथ की तबियत ठीक न होते हुए सांसद पद के लिए आगे किया गया। साल था 1998 जब महंत योगी आदित्यनाथ पहली बार गोरखपुर से सांसद चुने गए, जिसके बाद योगी आदित्यनाथ लगातार 1999, 2004, 2009 और 2014 में सांसद चुने गए थे।
कौन संभालेगा महंत योगी आदित्यनाथ की विरासत?
योगी आदित्यनाथ 5 बार गोरखपुर से सांसद चुने जा चुके हैं। सिर्फ चुने नहीं गए हैं, बल्कि हर बार की जीत में पिछले बार मिले वोटों से अधिक वोट भी उन्हें मिले। जिसके बाद सवाल यह उठता है कि, 28 साल बाद इस विरासत का उत्तराधिकारी कौन होगा?सूत्रों की मानें तो सांसद पद का दावेदार कोई ऐसा ही व्यक्ति होगा, जिसे पीठ का संरक्षण प्राप्त होगा।
सामंजस्य बैठा सकने वाला होगा उत्तराधिकारी!
साथ ही साथ वह व्यक्ति पीठ के महत्व और राजनीतिक भूमिका में सामंजस्य बैठा सके। गौरतलब है कि, पीठ के अगले दावेदार का चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही करेंगे। ज्ञात हो कि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही गोरक्षपीठ के महंत हैं।
दोनों, मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री दे चुके हैं इस्तीफा
वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी इलाहाबाद की फूलपुर सीट से बतौर सांसद इस्तीफ़ा दे दिया था। जिसके बाद अगले 6 महीने में गोरखपुर और फूलपुर सीट पर सांसद के उपचुनाव हो सकते हैं।