चार मोहर्रम को इमाम हुसैन की याद में निकला जुलूस
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जौनपुर। माह-ए-मोहर्रम की चौथी तारीख को नगर में कई स्थानों पर मातमी जुलूस निकालकर लोगों ने नौहा व मातम कर कर्बला के शहीदों को नजराने अकीदत पेश किया। कल्लू के इमामबाड़े के पास स्थित मस्जिद से मजलिस के बाद शबीहे अलम व जुलजनाह का जुलूस निकाला गया। जिसमें शहर की प्रमुख मातमी अंजुमनों ने नौहा व मातम कर नजराने अकीदत पेश किया। जुलूस अपने कदीम रास्तों से होता हुआ ताड़तला स्थित अलहादी प्रेस इमामबाड़े के पास पहुंचा जहां मोहम्मद नसीम ने तकरीर किया जिसके बाद शबीहे ताबूत व अलम को जुलजनाह से मिलाया गया। इस दर्दनाक मंजर को देखकर लोगों की आंखों से आंसू छलक गये।
इसी क्रम में ताड़तला रोड स्थित अजाखाने में तहजीबुल हसनैन उर्फ शकील के द्वारा चार मोहर्रम की कदीमी मजलिस का आयोजन किया गया। मजलिस की सोजख्वानी जनाब नजफ साहब व उनके साथियों ने की। तदुपरांत जौनपुर अजादारी काउंसिल के अध्यक्ष हाजी सै. मोहम्मद हसन ने मजलिस को खेताब फरमाते हुए कहा कि इमाम हुसैन के बचपन के दोस्त हबीब इबे मजाहिर की शहादत से चौथी मोहर्रम मंसूब है। चौथी मोहर्रम को ही शिम्र नामक जालिम 30 हजार सैनिकों को लेकर कर्बला में पहुंचा उसने इमाम हुसैन के साथियों एवं कुनबे पर जुल्म ढाना शुरू कर दिया व 10 मोहर्रम को तीन दिन के भूखे प्यासे व उनके 71 साथियों को बड़ी बेरहमी से यजीदी फौज ने कत्ल कर दिया। इमाम हुसैन ने कर्बला के मैदान में अपनी शहादत पेश करके इंसानियत को बचा लिया क्योंकि यजीद सारी इंसानियत का ही दुश्मन था। तदुपरांत अंजुमन जुल्फेकारिया ने नौहा व मातम किया।
मोहर्रम के पहले शाह का पंजा स्थित इमामबाड़े में सुबह से ही अजादारों के पहुंचने का सिलसिला शुरु हुआ जो देर रात्रि तक चलता रहा यहां लोगों ने अपनी-अपनी मन्नतें उतारने के लिए खिचड़ी बनवायी और प्रसाद के रुप में लोगों को बांटा।