कफन का इस्तेमाल करके किसान सो रहे है चैन की नींद

जौनपुर। जिले के शमशान घाट के आस पास के गांवो के किसानों ने अपनी फसलों को आवारा पशुओ एवं नील गायों से बचाने का नायब तरीका अपनाया है। ये लोग अंतिम संस्कार के बाद फेके गये कफन को अपने फसलों का सुरक्षा कवछ बनाया है। खेत के चारो तरफ कफन बाड़ बनाकर पूरी रात चैन की दिन सोते है। 

पहले नील गायों के आतंक से किसान बेहाल परेशान थे उसके बाद प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद अवैध सलाटर हाऊसों पर ताला लगने के बाद गांव में आवारा पशुओ की बाढ़ आ गयी है। ये मवेशी पल भर में किसानो की गाढ़ी मेहनत की कमाई चट कर दे रहे है। सक्षम किसान कटिले तार समेत अन्य प्रबंध कर लिया लेकिन छोटे मझोले व गरीब किसान अभी भी परेशान है। 

ऐसे में शमशान घाट के आसपास के किसान अपने फसलों को बचाने के लिए कफन का इस्तेमाल कर रहे है। खेत के चारो तरफ कफन का घेरा बनाया है। किसानों का यह प्रयोग काफी हद तक कारगर साबित हो रहा है। 

नगर के रामघाट के किसान रतन सिंह चैहान ने बताया कि कफन रात में चमकता है वाहनो की लाइट पड़ने पर उसकी चमक कई गुना बढ़ जाता है, चमक के कारण मवेशी खेत की तरफ आने से डरते है। इसी तरह अजय चैहान, सुनीता बिन्द समेत दर्जनो किसानो ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। 


 महमदपुर गुलरा गांव के संतोष निषाद व राम अजोर निषाद ने खेत में बोए गए आलू की फसल की सुरक्षा के लिए पहले तो बांस-बल्ली का सहारा लिया। इससे सुरक्षा नहीं हो सकी तो श्मशान घाट पर फेंके गये कफन को लाकर खेत के चारों तरफ बाड़ बना दिए। दोनों किसानों ने बताया एक दिन पिलकिछा श्मशान घाट पर गए। वहां ढेर सारे कफन फेंके पड़े थे। उन्हें उठाकर लाए और खेत की बाड़ घेर दी गई। जब कभी सुतौली या पिलकिछा श्मशान पर जाते हैं तो बेकार समझकर फेंक दिए गए कफन उठा लाते हैं। उनकी देखा-देखी गांव के अन्य किसान भी श्मशान घाट पर फेंके गए कफन को लाकर अपने खेतों की सुरक्षा में इस्तेमाल करते हैं।

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