इकलौता बेटा था बुढ़ापे का सहारा, एक साल पूर्व पत्नी छोड़ गई थी साथ
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जौनपुर। शाहगंज कोतवाली क्षेत्र के समधीपुर गांव के पास सोमवार की रात सड़क हादसे में जीजा व साली की मौत से दो परिवारों पर वज्रपात सा हो गया। सुहाग उजड़ने के बाद सुमन खुद को कोस रही है कि उसकी जिद पति व बहन की मौत का कारण बन गई। वहीं इकलौते बेटे की मौत से कुनबे के बेसहारा हो जाने से वृद्ध सभाजीत बदहवास हैं।
सराय मोहिउद्दीनपुर निवासी सभाजीत प्रजापति के कुनबे के लिए सोमवार की रात बड़ी मनहूस साबित हुई। जिदगी के साठवें दशक में करीब साल भर पहले पत्नी परलोक सिधार गई थीं। इकलौता बेटा राधे मोहन बुढ़ापे की लाठी बन गया था। बड़ी हंसी-खुशी के साथ सभाजीत ने करीब पांच साल पहले राधे मोहन की शादी भरौली गांव के राम वचन की पुत्री सुमन के साथ की थी। दो साल के बाद सुमन के बेटे को जन्म देने पर सभाजीत खुशी से फूले नहीं समा रहे थे। छोटी बहन किरन शादी के बाद से ही ज्यादातर समय सुमन के साथ उसके यहां ही रहती रही। कुछ दिनों पहले किरन घर चली गई थी। उसकी तबीयत खराब होने की खबर मिली तो सुमन बेचैन हो गई। पति के घर आने पर वह रात में ही जाकर किरन को लाने की जिद कर बैठी। राधे मोहन की पत्नी धाड़ें मारकर रोते हुए बार-बार एक ही बात कह रही है कि काश वह पति से मायके जाकर बहन को लाने की जिद न की होती तो उसका सुहाग न उजड़ता। पत्नी व पिता के करुण क्रंदन से पूरे गांव का माहौल बोझिल हो गया है। सभाजीत अपने भाग्य को कोस रहे हैं कि उम्र के इस पड़ाव पर वह विधाता उन्हें क्या यही दिन दिखाना था।