अनाथ नहीं रहेंगे भाई-बहन, समाजसेवी ज्ञान प्रकाश ने लिया गोद

जौनपुर: वैश्विक महामारी कोरोना में माता-पिता को खोने वाले छह भाई-बहनों अब अनाथ नहीं रहेंगे। उनका नाथ बनकर आगे आए हैं समाजसेवी ज्ञान प्रकाश सिंह। उन्होंने बच्चों को गोद लेते हुए अंतिम तक पढ़ाई-लिखाई का पूरा खर्च उठाने के साथ ही परवरिश के लिए ढाई लाख रुपये का एफडीआर करने का वादा किया है। कहा कि अभिभावक की भूमिका में  इन बच्चों की हर संभव मदद करते रहेंगे।

करंजाकला क्षेत्र के पकड़ी गांव निवासी रामवृक्ष बिंद व उसकी पत्नी की मृत्यु के बाद अनाथ हुए छह भाई-बहनों की मार्मिक कहानी को मीडिया प्रमुखता से प्रकाशित किया। इसकी जानकारी होने के बाद ज़िले के गोधना गांव निवासी समाजसेवी  ज्ञान प्रकाश सिंह ने एक बार फिर इंसानियत की मिसाल पेश की है। कोरोना काल के शुरुआती दिनों से अब तक जौनपुर के लाखों लोगों को राशन, भोजन और दवाएं उपलब्ध करवाने वाले यह समाजसेवी एक परिवार के जीवन मे आशा का प्रकाश बन कर आगे आए हैं। उन्होंने बेसहारा हो चुके मासूम बच्चों को गोद लेने का वादा किया। कहा कि सभी बच्चों के प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा का पूरा खर्च उठाएंगे। इन बच्चों को कापी, किताब, ड्रेस और फीस की व्यवस्था करने का निर्णय लिया है। कहा कि बड़ी बेटी के नाम बालिग होने तक ढाई लाख रुपये का एफडीआर करेंगे। इसके लिए वह अगले माह बच्चों के घर जाएंगे।
विदित हो कि कोरोना महामारी आने के बाद से ज़िले के अधिकांश जनप्रतिनिधि जहां गायब हैं वहीं समाजसेवी ज्ञान प्रकाश सिंह ज़िले की गरीब जनता के लिए फरिश्ता बनकर उभरे हैं। उन्होंने कोरोना की प्रथम लहर में लाखों लोगों को राशन और भोजन उपलब्ध करवाया। मुंबई में फंसे सैकड़ों मजदूरों को उन्होंने सकुशल घर भेजने का भी काम किया। दूसरी लहर में जब वेंटिलेटर और ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा तब एक बार फिर ज्ञान प्रकाश सिंह आगे आए। उन्होंने दो वेंटिलेटर, आक्सीजन कंसंट्रेटर और लाखों के अन्य जीवनोपयोगी उपकरण ज़िला प्रशासन को डोनेट की।इतना ही नहीं उन्होंने ज़रूरी दवाओं की लाखों किट बनवा कर ज़िले भर में बांटने का काम किया।

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