पिछले दो वर्षों में किसी भी साल नहीं मिले 12 से अधिक मलेरिया मरीज : डीएमओ

 जौनपुर। जनपद में मलेरिया पर काबू पाने के लिए विभाग हर स्तर पर प्रयास कर रहा है। वहीं पिछले दो वर्षों में हर वर्ष 12-12 मलेरिया रोगी मिले हैं। यह कहना है जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) भानु प्रताप सिंह का। उन्होंने बताया कि मलेरिया के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। डीएमओ बताते हैं कि आबादी क्षेत्र में मच्छरों का घनत्व जितना कम होगा उतना ही लोग मलेरिया से सुरक्षित होंगे। 

इसके चलते ही शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छरों के प्रजनन स्रोतों को नष्ट कराया जा रहा है। एंटी लार्वा का छिड़काव तथा फागिंग भी हो रहा है। इस कार्य में नगर विकास विभाग एवं पंचायती राज विभाग सहयोग कर रहे हैं। बुखार ग्रसित सभी रोगियों की जांच के लिए सभी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को निर्देशित किया गया है जिससे समय पर मलेरिया की पहचान कर मरीज को 14 दिन का उपचार दिया जा सके। इन कार्यों की मानीटरिंग एवं सहयोगात्मक पर्यवेक्षण के लिए जिले के सभी पांच मलेरिया निरीक्षकों को 21 ब्लाक आवंटित किए गए हैं। मार्च तक 7,774 रोगियों की मलेरिया जांच की जा चुकी है लेकिन कोई भी मलेरिया धनात्मक नहीं मिला। कैसे होता है मलेरिया - मलेरिया मादा एनीफिलीज मच्छर के काटने से होता है। मलेरिया हो जाने पर रोगी को ठंड देकर नियमित अंतराल पर बुखार आता है और बुखार छोड़ते वक्त पसीना होता है। समय पर दवा न मिलने पर रोगी अत्यधिक कमजोर हो जाता है। कैसे करें बचाव: मलेरिया से बचाव के लिए रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए। आसपास गंदा पानी इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए। साफ-सफाई रखनी चाहिए। बुखार होने पर तुरंत अच्छे डॉक्टर को दिखाना चाहिए। सही समय पर निदान उपचार होने से रोगी पूर्णतः स्वस्थ हो जाता है। कहां-कहां है सुविधा: मलेरिया की जांच की सुविधा जिला मुख्यालय के अलावा सभी सीएचसी/पीएचसी पर उपलब्ध है। स्वास्थ्य कार्यकर्ता क्षेत्र में जाकर रोगी की पहचान कर रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (आरडीटी) किट से त्वरित जांच करते हैं। जांच में मलेरिया धनात्मक पाए जाने पर रोगी का नि:शुल्क पूर्ण उपचार किया जाता है। वेक्टर जनित (संक्रामक) रोग: मलेरिया का प्रसार मादा एनीफिलीस मच्छर के काटने से होता है। एक अंडे से मच्छर बनने की प्रक्रिया में पूरा एक सप्ताह का समाया लगता है। इस वजह से ही सप्ताह में एक बार एंटीलार्वा का छिड़काव किया जाता है। यदि किसी जलपात्र में पानी है तो उसे सप्ताह में एक बार जरूर खाली कर दें। जैसे कूलर, गमला, टिन का डिब्बा, नारियल का खोल, डिब्बा, फ्रीज के पीछे का डीफ्रास्ट ट्रे की सफाई हमेशा करते रहना आवश्यक है। दस्तक अभियान की उपलब्धि - संचारी रोग उन्मूलन अभियान तथा दस्तक अभियान के अंतर्गत डीएम ने दूसरी समीक्षा बैठक की। जागरूकता के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने 636 रैलियां निकालीं। ग्राम विकास विभाग (पंचायती राज) की ओर से प्रधानों ने 878 प्रभातफेरियां निकालीं। 1024 ग्रामीण नालियों की सफाई की गई। 2,151 झाड़ियों की कटाई, 227 इंडिया मार्का-2 हैंडपंप की मरम्मत तथा 197 प्लेटफार्म की मरम्मत की गई। 56 उथले हैंडपंप का चिह्नीकरण हुआ। स्वच्छ भारत मिशन के तहत 915 शौचालय बनवाए गए। नगर विकास विभाग ने नगरीय क्षेत्र में 12,129 नालियों की सफाई करवाई। 131 वार्डों में फागिंग का कार्य कराया। पशुपालन विभाग ने 140 सुअरपालकों को संवेदीकृत किया। कृषि विभाग ने रोडेन्टा (चूहे-छछूंदर) से बचाव के लिए संवेदीकृत करने को 887 बैठकें की। उद्यान विभाग की ओर से दो पार्कों में 1,725 मच्छररोधी पौधे लगाए गए। 1738 प्रशिक्षित आशा कार्यकर्ताओं 1,50,496 घरों का भ्रमण कर लोगों को संचारी रोगों के प्रति जागरूक किया। 5,526 स्थलों पर पीने के पानी की स्वच्छता के लिए क्लोरिनेशन डेमो का आयोजन किया गया। नहीं मिला मलेरिया मरीज- दस्तक अभियान के अंतर्गत अभी तक 278 बुखार के रोगी चिह्नित किए गए। इनमें से 124 की मलेरिया जांच कराई गई लेकिन कोई भी रोगी धनात्मक नहीं मिला।

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