ग्रामीण इलाकों में युद्ध स्तर पर जारी है धान की रोपाई
ग्रामीण इलाकों में वैसे तो अब तक रोपाई लगभग पूरी हो जाया करती थी किन्तु बरसात के विलम्ब के कारण लगभग रुकी सी थी। जिन इलाकों में नहर से सिंचाई की सुविधा थी वहां तो धान की रोपाई किसान आशावादी होकर कर रहे थे किन्तु जिन इलाकों में किसान पम्पिंग सेट के भरोसे थे वहां डीजल के दाम ऊंचे होने से रोपाई इस डर से नहीं कर रहे थे कि कहीं उनकी पूरी लागत ही न डूब जाये। दूसरी तरफ भूमिगत जलस्तर भी दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा था। विकास खंड मछलीशहर की ग्राम पंचायत बामी के किसान कल्पेश प्रजापति कहते हैं कि उनके गांव में लगभग 80% के करीब धान की रोपाई का कार्य पूरा हो गया है।
वैसे खरीफ की अन्य फसलों की बुआई तो पिछड़ ही गयी है क्योंकि अब खेतों में अगर अगले दो तीन दिन तक बारिश नहीं हुई तभी जुताई सम्भव हो पायेगी। बरसात होने से पशुपालकों को भी लाभ हुआ है पशुओं की चराई के चलते उनके भूसे की बचत होगी। आपको बताते चलें कि बफर स्टाकिंग के चलते अनाज का स्टाक तो पर्याप्त है किन्तु पशुओं के चारे के लिये अच्छी स्टाकिंग न होने के कारण पालतू पशुओं पर सूखे का सर्वाधिक असर पड़ने के आसार होते हैं।