बाल विवाह घातक सामाजिक कुरीतियों से बचे

बाल विवाह बच्चों को अच्छी सेहत, पोषण व शिक्षा इन सारी अधिकारों से वंचित कर देता है और उन्हें परिपूर्ण व सबल मनुष्यों के रूप में विकसित होने का मौका नहीं देता। ऊंची प्रसूता व शिशु मृत्यु दर और पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाला कुपोषण के पीछे यह एक बड़ा कारण है ।बाल विवाह बच्चों पर कुछ सामाजिक और निर्णय कारी भूमिकाएं भी थोप देता है जबकि वह अभी इन जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक रूप से पूरी तरह तैयार नहीं होते हैं। हमारी समाज में बाल विवाह की प्रथा का पूरी तरह उन्मूलन करने के लिए भारत सरकार ने 1929 के बाल विवाह रोकथाम अधिनियम के स्थान पर 2006 में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम पारित किया था।
विशिष्ट अतिथि प्रमोद कुमार प्रजापति प्रधान अध्यापक ने कहा थी बाल विवाह निषेध अधिकारी, पुलिस ,अध्यापकों, पंचायत सदस्यों एवं अन्य संबंधित पक्षों की जिम्मेदारियों अत्यधिक महत्वपूर्ण है । विशिष्ट अतिथि प्रधानाध्यापक सुभाष सरोज ने कहा कि बाल विवाह की सूचना निकट के थाने में या 1098 पर दे सकते हैं। 18 साल से कम उम्र की लड़की की शादी 21 वर्ष से कम बालक की शादी बाल विवाह नाबालिक में आएगा । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुधई राम यादव ने कहा कि बाल विवाह करवाना या रचाना एक संज्ञेय अपराध और गैर जमानती अपराध है । बाल विवाह को निष्प्रभावी घोषित कर दिया जाएगा।
बाल विवाह जागरूकता अभियान में हजारों बालिकाएं एवं महिलाएं की सहभागिता रही। क्षेत्र के गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे। उक्त अवसर पर सुशीला देवी नीलम सिंह संजय यादव जवाहर लाल यादव कंचन यादव विजमा यादव सावित्री गिरी नीलम राजेंद्र प्रसाद यादव इत्यादि लोग उपस्थित थे पूर्व चेयरमैन चाइल्ड वेलफेयर कमेटी मास्टर ट्रेनर बालिका सुरक्षा जागरूकता अभियान जुलाई कवचसंजय उपाध्याय ने कहा कि बाल विवाह पर जागरुकता अभियान सतत् चलता रहेगा