जिला अस्पताल के जर्जर भवन दे रहे भारी हादसे को निमंत्रण

जौनपुर। अमर शहीद उमानाथ सिंह जिला चिकित्सालय जितने ही आधुनिक तरीके से बनाया गया, स्वच्छता और मजबूती का मिसाल बना हुआ है जिला चिकित्सालय परंतु वहीं पर कर्मचारियों को रहने हेतु पूर्व के बने भवनों को देखकर यह स्पष्ट हो जाता है कि इन भवनों में रहने वाले कर्मचारीगण कभी भी अप्रिय घटना के शिकार हो सकते हैं। बताते चलें कि जिला चिकित्सालय के मुख्य अधीक्षक एवं चिकित्सकों को रहने के लिए जो भी भवन कक्ष या बंगला मिला हुआ है, वह लगभग व्यवस्थाओं से सुसज्जित है परंतु चिकित्सालय में कार्य करने वाले मेडवाइफ, वार्ड बॉय एवं फार्मासिस्टों के रहने के लिए बनाया गया भवन जर्जर हो चुका है जो मृत्यु का आमंत्रण देने पर तुला है। वहीं शासन एवं जिला प्रशासन का ध्यान इनके ऊपर आकृष्ट क्यों नहीं हो रहा है? यह चर्चा का विषय बना हुआ है। यदि जर्जर भवन गिरा तो उसके कारण जो भी जान—माल की हानि होगी, उसे मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं जिला चिकित्सालय प्रशासन एवं शासन द्वारा क्या जवाब होगा? भवन देखने से ही स्पष्ट होता है कि क्षतिग्रस्त होने की प्रबल संभावना बनी हुई है परंतु इसके ऊपर जिला चिकित्सालय एवं उच्च अधिकारियों की दृष्टि आखिर क्यों नहीं पड़ती? अपने ही कर्मचारियों के साथ आखिर ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों? क्यों नहीं इन भवनों का नियमित मरम्मत या नवीनीकरण कराया जा रहा है? कुल मिलाकर चिकित्सालय में कार्य करने वाले कर्मचारी के लिये यह भवन मौत की दावत देने को तत्पर है। उसी के साथ बिजली के तार का मकड़जाल फैला हुआ है जो अपने आपमें जानलेवा साबित हो रहा है। सूत्रों के अनुसार विगत कई वर्षों से इस भवन को तोड़कर नया भवन बनाने की बात शासन द्वारा चली परंतु परिणाम शून्य रहा। आज और अभी तक इन भावनों को लेकर शासन—प्रशासन की मंशा स्पष्ट नहीं हो सकी है कि कार्यरत कर्मचारियों को रहने की समुचित व्यवस्था कैसे और कहां दी जाय? उनमें रहने वाले सभी कर्मचारीगण भयभीत एवं डरे हुये हैं जो शासन—प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुये समस्या के समाधान की मांग किया है।

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