मोदी को बुलेट से नहीं बैलेट से दें जवाब: इमाम

मामला नाइंसाफी से जुड़ा हो या फौरी गुस्सा से उबली प्रतिक्रिया, इस्लाम या अहले हदीस हिंसा की इजाजत नहीं देता। कुछ भटके हुए लोग हैं, जो जिहाद की गलत व्याख्या कर रहे हैं। जबकि आतंकवाद जिहाद नहीं होता। जिहाद तो अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण करना और बुराई से बचना बताता है। आतंकवादी गतिविधियों में पकड़े गए लोग अपने बचाव में अहले हदीस का नाम लेकर उसे बदनाम कर रहे हैं। यह बातें रांची स्थित अहले हदीस की प्रमुख मस्जिद के इमाम और खतीब जियाउल हक फैजी ने भास्कर से खास बातचीत में कही है। जिहाद आतंकवाद नहीं होता, यह तो अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण करना और बुराई से बचना बताता है कहा जा रहा है कि अहले हदीस मुसलमानों के बीच कट्टरता के बीज बो रहा है? नहीं। ऐसा हरगिज नहीं है। अहले हदीस सिर्फ कुरआन व हदीस की रोशनी में समाज की सलामती व ईमान की सुरक्षा का प्रचार--प्रसार करता है। फिर दहशतपसंदी के आरोप में अहले हदीस के लड़के ही क्यों पकड़े जा रहे हैं? यह इतिफाक है कि पकड़े गए लोग अहले हदीस का नाम ले रहे हैं। यह हमारी जमायत के खिलाफ कोई साजिश भी हो सकती है। इसे महज इतिफाक कैसे कह सकते हैं। जबकि हिरासत में लिए गए या इल्जाम में पकड़े गए लोगों का संबंध अहले हदीस से बताया जा रहा है? हो सकता है। उनका झुकाव मेरी जमायत से रहा हो। लेकिन हमलोग ऐसी शिक्षा नहीं देते हैं। ट्रेनिंग की बात ही जुदा है। वे भटके हुए लोग हैं। बेरोजगार युवकों का किसी ने अहले हदीस को बदनाम करने और मुल्क में अशांति फैलाने के लिए इस्तेमाल किया हो। इससे इंकार नहीं कर सकते। अगर ऐसा होता तो, लक्खीसराय या झरिया से पकड़े गए लड़के गैर मुस्लिम नहीं होते। कहा जाता है कि अहले हदीस को सऊदी अरब से फंडिंग होती है? मैं बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता हूं ताकि अपने बच्चों की ठीक से परवरिश कर सकूं। क्योंकि मुझे महज छह हजार रुपए ही तनख्वाह मिलती है। वहीं मस्जिद के खर्च के लिए चंदा किया जाता है। अगर सऊदी से मदद मिलती तो फिर न चंदा की जरूरत पड़ती, ना ही मैं ट्यूशन करता। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की जान अहले हदीस क्यों लेना चाहता है? यह सरासर इल्जाम है। जितनी खबरें आ रही हैं या पटना ब्लास्ट मिसाल है। मैंने पहले ही कहा कि ऐसी इजाजत न इस्लाम, ना ही अहले हदीस देता है। अगर किसी को मोदी से शिकायत है, तो जम्हूरियत है, उनका विरोध करें। उन्हें वोट न करें। सेकुलर मिजाज के लोगों को जिताकर मोदी को जवाब दें। गुजरात या हालिया मुजफ्फरनगर दंगे की प्रतिक्रिया हो या अन्याय के खिलाफ हो सकता है कि इन लड़कों को बरगला दिया गया हो? हथियार उठाना या विस्फोट करना कभी जायज नहीं हो सकता। अगर किसी के साथ नाइंसाफी हुई है, तो कानून का सहारा लें। सरकार बात नहीं सुन रही है, तो उसे चुनाव में पराजित करें। बम या गोली किसी मसले का हल नहीं है।

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