एड्स जागरूकता कार्यक्रम को सफल बनाने वाले कर्मचारियों का जीवन अंधेरे में : सीमा सिंह

जौनपुर। दूसरो के जीवन से अंधेरा दूर करने वाले कर्मचारियों का भविष्य खुद अंधकार में जाता दिखाई पड़ रहा है। ये अर्ध सरकारी मुलाजिम है राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के। दरअसल मौजूदा सरकार ने इस विभाग को भंग करके पुनः गठन कर दिया है जिसके कारण वित्तीय संकट आ गया है। इसका सीधा असर ग्राउण्ड लेबल पर कार्य करने वाले कर्मचारियांे पर पड़ रहा है। ये सभी कर्मचारी सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए एक दिसम्बर को मनाये जाने वाले राष्ट्रीय एड्स दिवस के मौके पर काली पट्टी बाधकर कार्य करने का ऐलान किया है।
एड्स नामक लाईलाज विमारी को देेश से भगाने के लिए आज से  24 वर्ष पूर्व भारत में विगुल फूका गया था। केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण  संगठन का स्थापना किया उसके बाद प्रदेश सरकार ने राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी का गठन किया। दोनो  सरकारे इस विमारी से बचने और इलाज के बारे में प्रचार प्रसार करने के लिए भरपूर धन मुहैया कराती रही। लेकिन मौजूदा केन्द्र सरकार ने नाको को भंग करके पुनः गठन तो कर दिया लेकिन धन देने में कंजूसी कर रही है। जिसके कारण इस कार्य में लगे कर्मचारियों को समय से वेतन नही मिल पा रहा है। जौनपुर महिला चिकित्सालय की काउंसलर एवं एड्स नियंत्रण कर्मचारी कल्याण समिति उत्तर प्रदेश की जिलाध्यक्ष सीमा सिंह ने कहा कि हम लोग पूरी मेहनत और लगन से कार्य किया जिसका परिणाम  भी सामने आया है। सीमा सिंह ने दावे के साथ कहा कि हम जौनपुर के पचास लाख आबादी वाले जिले में मात्र 22 लोगो ने कार्य करके एड्स की रोगियों में भारी कमी लायी है। इसके बाद भी सरकार हम लोगो की तरफ कोई ध्यान नही दे रही है। उन्होने मांग किया किया कि हम लोगो को समान कार्य समान वेतन मिलना चाहिए जिससे हम लोग अपने बाल बच्चो की परवरिश पढ़ाई लिखाई और जीवन यापन हो सके।


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