जौनपुर के एक देवता को भक्त चढ़ाते है दिवाल घडी

 जौनपुर के एक देवता को श्रद्वालु अपनी मन्नत पूरी होने पर फूल, माला, प्रसाद की जगह दिवाल घड़ी चढ़ाते है। श्रद्वालुओ का मानना है कि घड़ी चढ़ाने से बाबा खुश होते है। इसी परम्परा के कारण इस मंदिर का नाम घड़ी वाले बाबा के नाम से प्रसिद्व है। इस देव स्थान पर घड़ी चढ़ाने की परम्परा करीब 30 वर्ष पूर्व एक ट्रक ड्राईबर ने शुरू की थी, स्थानीय लोग बताते है कि एक व्यक्ति ब्रह्रबाबा से मिन्नत की थी कि वह ट्रक चलाना सीख लेगा तो घड़ी चढ़ायेगा उसकी मांगी मुराद पूरी होते ही उसने घड़ी चढ़ा दी। इसके बाद एक परम्परा सी बन गयी है। आज हर भक्त इस देव स्थान पर घड़ी ही चढ़ाता हैं।
 जौनपुर जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर मडि़याहूं तहसील के जगरनाथपुर गांव में यह ब्रह्म बाबा का मंदिर प्राचीन काल से ही स्थानीय लोगों के लिए आस्था का केन्द्र है। लेकिन एक दषक पूर्व एक भक्त ने बाबा से मन्नत मांगी कि वह गाड़ी चलाना सीख लेगा तो चढ़ावा के रूप में दीवाल घड़ी चढ़ायेगा। उसकी मन्नत पूरी हुई तो उसने बाबा को घड़ी चढ़ा दी। यहीं से घड़ी चढ़ाने की शुरूआत हुई जो आज एक परम्परा बन गई है। ब्रह्म बाबा सबकी मुरादे पुरी करते है। ऐसा स्थानीय लोगों का मानना है। ऐसे ही बाबा के एक भक्त ने अपने अर्चन कर घड़ी चढ़ा दी।

घड़ी वाले बाबा के दरबार में प्रतिदिन सैकड़ों भक्त आकर दर्शन पूजन करते है और पूरी आस्थाबीमार लड़के की ठीक होने पर बाबा को घड़ी चढ़ाने की मन्नत मांगी थी जो पूरी होने पर बाबा के दरबार में पूजन के साथ उन्हें विश्वास है कि बाबा के यहां हाजिरी लगाने वाला कोई भी भक्त खाली हाथ वापस नही जाता।
 घड़ी वाले बाबा के प्रति इस क्षेत्र की जनता को इतना अटूट आस्था व विश्वास है कि खुले आसमान के नीचे टंगी यह कीमती घडि़यों को कोई चुराना तो दूर छूने तक की हिम्मत नही जुटा पाता। लोगों को डर है कि यदि हम घड़ी को हाथ भी लगाये तो मेरा कोई न कोई हानि हो सकती है.। 

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