पालीथिन को नकारने लगे लोग

जौनपुर। पॉलीथिन का अस्तित्व अब खत्म होने लगा है। मजबूरी अथवा जागरूकता की वजह से  शहर से लेकर देहात इलाकों तक के लोग खुद ही पॉलीथिन को न कहने लगे हैं। ग्राहक हों या फिर व्यापारी, आम हो या खास तबके के लोग, अधिकांश लोग यही कह रहे हैं कि बस बहुत हो चुका। न तो पर्यावरण को प्रदूषित करेंगे और न ही आने वाली पीढियों समेत जीव-जंतुओं को खतरे में डालेंगे। ठेले-खोमचे वालों से लेकर बड़े व्यापारी खुद ग्राहकों से यही अनुरोध कर रहे हैं कि घर से थैला लेकर आईए और सामान ले जाईये। वहीं दूध-दही समेत तरल पदार्थ बेचने वाले भी अब ग्राहकों से बर्तन लेकर आने की अपील करते देखे जा रहे हैं। यानी कि बिक्री का घाटा सह लेंगे पर पॉलीथिन में सामान नहीं देंगे की तर्ज पर व्यापारी उतर आए हैं। वहीं ग्राहक भी अब घरों से थैले लेकर निकल रहे हैं।  लोगो का कहना है कि पॉलीथिन को अब अलविदा कह दिया है, साथ ही थैला लेकर घर से निकलने की परंपरा को आदत में शुमार कर लिया है। क्योंकि हम बदलेंगे तभी देश और समाज बदलेगा। सारी जिम्मेदारी प्रशासन की नहीं बल्कि हमारी भी है। छात्र गौरव का पुराने समय में पॉलीथिन का उपयोग ज्यादा न होने पर आवोहवा साफ रहती थी। लेकिन आज के समय पॉलीथिन का चलन ज्यादा होने की वजह से प्रदूषण बढ़ रहा है। गांवों में भी स्वच्छता नहीं बची। हर किसी को पॉलीथिन बंद करनी चाहिए। शिक्षको ने बताया कि पॉलीथिन को अब पूरी तरह न बोल दिया है। मैं खुद ही नहीं बल्कि आसपास के लोगों को भी राह चलते यही कहता हूं कि भला जेब में थैला रखने में गुरेज ही क्या है। लोगों को बात समझ में भी आ रही है और लगातार थैले लेकर निकल रहे हैं। हम तो अब किसी सूरत में पॉलीथिन का उपयोग नहीं करेंगे। जरूरत है कि अब सभी को प्रशासन के साथ आकर इस मुहिम में अपनी हिस्सेदारी करें तो बेहतर होगा। क्योंकि यह शहर हमारा है और हमें ही यहां की आबोहवा साफ रखना है।

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