देश के विकास में महिला कृषकों की अहम भूमिका


जौनपुर : मिशन शक्ति अभियान के तहत गुरुवार को कृषि भवन सभागार में महिला सशक्तिकरण हेतु गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमे महिलाओं को स्वालंबन बनाने के लिए जागरूक किया गया। गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए उप परियोजना निदेशक (आत्मा) डा. रमेश चंद्र यादव ने कहा कि ग्रामीण महिलाएं विकासशील देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। दुनिया के विकासशील देशों के कई भागों में वह सफल उत्पादन और पशुओं की देखभाल के साथ-साथ अपने परिवार के लिए भोजन, जल एवं ईंधन की व्यवस्था भी करती हैं, इसके अलावा ग्रामीण महिलाएं बच्चों, बुजुर्गों, बीमार व्यक्तियों की देखभाल भी करती हैं, जाहिर है कि भुखमरी और गरीबी को समाज से मिटाने के लिए इन महिलाओं को सशक्त बनाना केवल महत्वपूर्ण ही नहीं है, बल्कि यह समाज की मांग भी है।

 इन्हें इनके अधिकारों और अवसरों से वंचित करने का अर्थ है बच्चों और समाज के लिए बेहतर भविष्य से इनकार करने जैसा है। महिलाओं की भागीदारी आज खेती, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन इत्यादि में 60% से भी अधिक है, परंतु उनका स्वामित्व उनके नाम पर अपेक्षाकृत बहुत ही कम प्रतिशत में है, इसी कारण कृषि गणना में कृषकों की संख्या में उनकी उपस्थिति बहुत कम दिखाई पड़ती है।
 खेती के कार्यों में अधिकांश कार्य महिलाओं द्वारा ही किया जाता है क्योंकि इनका यह श्रम घरेलू श्रम की परिभाषा के दायरे में आता है अतः इनकी हिस्सेदारी पारिवारिक आय में तो होती है परंतु इससे इन्हें व्यक्तिगत आय बहुत कम होती है, जो महिलाएं दूसरे के खेतों में खेतिहर मजदूर के रूप में कार्य करती हैं उन्हें ही व्यक्तिगत आय के रूप में धनराशि प्राप्त होती है। 
 महिलाओं की कृषि क्षेत्र में भागीदारी को पहचान एवं बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा प्रत्येक कृषि विज्ञान केंद्र में एक महिला वैज्ञानिक तैनात करने का निर्णय लिया है, उत्तर प्रदेश में कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा चलाए जा रहे 4 वर्षीय गृह विज्ञान के पाठ्यक्रम को कृषि स्नातक की समकक्षता प्रदान कर दी गई है, जिससे अधिक से अधिक महिलाएं कृषि एवं संबंधित क्षेत्र में सरकारी क्षेत्र की नौकरियों में स्थान प्राप्त कर सकें।
 राष्ट्रीय आजीविका मिशन एवं कृषक उत्पादक संगठनों के अंतर्गत प्रदेश में महिलाओं को फार्म मशीनरी बैंक, कस्टम हायरिंग योजना जिसमें ट्रैक्टर एवं अन्य उपकरण के क्रय पर 40 से 80% तक का अनुदान दिया जाता है इनमें महिलाओं को प्राथमिकता प्रदान की जाती है। इसी प्रकार हर 23 दिसंबर को आयोजित होने वाले किसान सम्मान दिवस के अवसर पर तीन सर्वश्रेष्ठ प्रगतिशील महिला कृषकों को सम्मानित भी किया जाता है। कृषि क्षेत्र में महिलाओं द्वारा की जा रही मेहनत एवं सहभागिता को देखते हुए यह अच्छा होगा कि कृषकों को दिए जाने वाले अनुदान एवं अन्य प्रोत्साहनो में इस प्रकार का परिवर्तन किया जाए, ताकि महिलाओं के एकल एवं संयुक्त स्वामित्व वाली भूमि के लिए ज्यादा अनुदान और प्रोत्साहन की व्यवस्था हो सके, ऐसा करने से घर की महिलाओं का भी नाम कृषकों के रूप में भू अभिलेखों में पुरुषों के साथ संयुक्त रूप से जुड़वाने को बढ़ावा मिलेगा साथ ही कृषि कार्य के दौरान महिला किसानों को भी वे सभी सुविधाएं प्राप्त हो सकेंगे जो एक पुरुष कृषक को सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाती है। इस मौके पर ड्रेगन फ्रूट, मशरूम, स्ट्रावेरी उत्पादन तथा जैम, जेली एवं मुरब्बा बनाने की तकनीकी जानकारी देकर प्रगतिशील महिला कृषको का क्षमता विकास किया गया। इस मौके पर धर्मापुर प्रोड्यूसर कम्पनी के सीईओ संध्या सिंह, नीरज सिंह, अनिता पाल,मीना देवी, उर्मिला, सावित्री,जागृत सिंह, कंचन पाण्डेय, रेखा, मंजू, आरती आदि प्रगतिशील महिला किसान उपस्थित रही।
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