प्रहरी एप छोटे ठेकेदारों के लिए बनी जंजाल , नहीं मिल रहा है काम

जौनपुर।  लोक निर्माण विभाग की तरफ से कार्यो में पारदर्शिता लाने के लिए प्रहरी एप लांच किया गया है, इसके जरिए ठेकेदारों को कार्यो के लिए पंजीकरण कराना व सारी टेंडर प्रक्रिया यही पूरी करनी होगी। एप में ठेकेदारों से तीन साल के कामों की आडिट रिपोर्ट मांगी जा रही है। इसमें पुराने ठेकेदारों की जहां बल्ले-बल्ले हो रही है वहीं नए ठेकेदार काम से वंचित हो रहे हैं। ऐसे में कुछ ठेकेदार पारदर्शिता को धता बताते हुए तीन साल की फर्जी आडिट रिपोर्ट लगाकर टेंडर में शामिल होने की जुगत में हैं तो अधिकतर नए ठेकेदार शासनादेश के चलते काम से वंचित हो रहे हैं।

 वर्तमान में पीडब्लूडी की तरफ से टेंडर प्रक्रिया शुरू कराई जा रही है। लोक निर्माण विभाग की तरफ से आनलाइन टेंडर के लिए शासन स्तर से प्रहरी एप लांच किया गया है। इसके तहत ठेकेदारों का हलफनामा, अभिलेख, पैन, श्रम पंजीयन, आडिट रिपोर्ट अपडेट कराना हो रहा है। इसमें लगे सभी अभिलेख को प्रदेश का कोई भी अधिकारी सत्यापन कर सकता है। साथ ही ठेकेदारों के आनलाइन टेंडर डालने पर इसमें टेक्निकल बीट भी क्लियर होने के बाद स्वयं मानक को पूरा करने वाले ठेकेदारों का नाम फाइनल हो जाएगा। इसके बाद पीडब्लूडी विभाग केवल फाइनल हुए ठेकेदारों के नाम का बांड बनाकर दे देते हैं फिलहाल इसमें पंजीयन के लिए तीन साल की आडिट रिपोर्ट मांगी जा रही है, इससे नए ठेकेदारों को प्रहरी एप से बाधा उत्पन्न हो रही है। वहीं कुछ नए ठेकेदारों ने प्रहरी में भाग लेने के लिए तीन साल की फर्जी आडिट रिपोर्ट बनाकर आवेदन कर दिया है, अगर विभाग ऐसे लोगों की जांच कराए तो निश्चित तौर पर कई फर्म ब्लैक लिस्टेड हो जाएगाी। 
 प्रहरी एप के तहत पीडब्लूडी में आनलाइन टेंडर प्रक्रिया चल रही है। इसके तहत मानक पूरा करने पर टेक्निकल बीट भी इसी में फाइनल हो जाती है। पारदर्शिता का पूरा ख्याल रखने के लिए प्रहरी एप को लांच किया गया है। रही बात आडिट रिपोर्ट की तो जैसा शासनादेश होगा उसका पालन किया जाएगा।

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