कविता के हाथ पीले करके इं. कृष्ण कुमार ने निभाया धर्मपिता का कर्तव्य

जौनपुर। बड़े-बुजुर्ग अक्सर कहा करते हैं कि यदि किसी जरूरतमन्द के लिये कुछ करना हो या उसे कुछ देना हो तो एक हाथ पर दो और दूसरे हाथ को पता न चले। हालांकि तमाम स्वयंसेवी संगठनों सहित कई लोगों द्वारा आये दिन जरूरतमन्दों के लिये कुछ न कुछ किया जाता रहता है लेकिन उपरोक्त बातें कम ही देखने व सुनने को मिलती है। फिलहाल एक नाम उपरोक्त बातों के साथ उभरकर सामने आया है जो लोगों के लिये एक मिसाल बन गये हैं। वह नाम खेतासराय मंे संचालित आदर्श कन्या इण्टर कालेज के अगुवा एवं भारतीय जनता पार्टी में पिछले 25 वर्षों से सेवा कर रहे इं. कृष्ण कुमार जायसवाल मुन्नू है। जी हां, यह वह सख्स हैं जिन्होंने खेतासराय के पास स्थित असरफपुर उसरहटा निवासी साहेबदीन राजभर की पुत्री कविता राजभर के धर्मपिता बन गये। इतना ही नहीं, उन्होंने कविता की पढ़ाई पूरी कराने के बाद एएनएम की डिग्री के साथ जिला अस्पताल में नौकरी दिलाते हुये बीते 23 मई को उसकी डोली को अपने हाथों से विदा करने तक निभाया। बता दें कि वर्ष 2013 श्री जायसवाल की निगाह उक्त छोटी बच्ची कविता पर पड़ी जिसकी लालसा पढ़कर कुछ बनना था। उन्होंने कविता को गोद ले लिया और कलेक्टेªट के पास स्थित अपने आवास पर रखकर उसे पढ़ाया। साथ ही एएनएम की डिग्री के साथ जिला अस्पताल मंे सेवारत भी करवाने में सहयोग प्रदान किया। बीते 23 मई को आजमगढ़ के कोहड़ा निवासी दिलीप राजभर के हाथ में कविता का हाथ देते हुये श्री जायसवाल ने अपने धर्मपिता की पूरी जिम्मेदारी सम्पूर्ण कर लिया। इस बाबत पूछे जाने पर श्री जायसवाल ने बताया कि उनकी अपनी एक बेटी है जो डाक्टरी की पढ़ाई कर रही है तथा एक बेटा भी है लेकिन कविता की जिज्ञासा को देखते हुये उन्होंने उसे अपनाया और पढ़ाई, डिग्री, नौकरी के बाद उसके हाथ पीले करके एक पिता का सम्पूर्ण कर्तव्य निभाया। इं. कृष्ण कुमार जायसवाल के इस साइलेंट सोशल वर्क की चर्चाएं जहां आज हर आम व खास में है, वहीं लोगों के लिये श्री जायसवाल एक मिसाल भी बन गये हैं।

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