नही रहे सांसद रामचरित्र निषाद, जानिए उनका राजनीतिक इतिहास

 

 मूल रूप से बस्ती के निवासी रामचरित्र निषाद दिल्ली में बस गए थे। वर्ष 2009 में अपना दल से जिले में राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। उन्होंने मछलीशहर सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन इस चुनाव में उन्हें हार मिली। वर्ष 2014 में भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाया। बड़े अंतर से चुनाव जीतकर वह सांसद बने। वह केंद्र सरकार की कई समितियों में सदस्य भी रहे। भाजपा के कई शीर्ष नेताओं से उनकी करीबी रही। मछुआरा समाज के बड़े नेताओं में शामिल रहे रामचरित्र निषाद ने वर्ष 2019 में भाजपा से टिकट कटने पर सपा का दामन थाम लिया था। वह मिर्जापुर संसदीय सीट से मैदान में उतरे। अपना दल की अनुप्रिया पटेल से उन्हें शिकस्त खानी पड़ी थी। सपा में वह अखिलेश यादव के भी काफी करीबी रहे। पूर्वांचल के अखिलेश के सभी कार्यक्रमों में वह आगे रहते थे। पूर्व सांसद के प्रतिनिधि राजेश सिंह ने निधन की पुष्टि करते हुए बताया कि कुछ दिनों से वह कोरोना से ग्रसित थे। उनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं। निधन से जिले के राजनीतिक हल्के में शोक की लहर है। सपा और भाजपा में तमाम नेताओं ने दुख प्रकट किया है।

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