महिलाओं के लिए रोल माडल बनी शिखा , दिला रही है रोजगार
जौनपुर। बख्शा ब्लाक के सराय विभार (परसावां) की शिखा मौर्या महिलाओं के लिए रोल माडल हैं। इतने कम समय में सामाजिक दबावों से बाहर निकलकर उन्होंने जिले में अपनी अलग पहचान बनाई। कोरोना काल में करीब 20000 मास्क बनाए जिसमें से करीब 10000 मास्क गरीबों में निःशुल्क वितरित किए गए। इसके साथ ही 2000 राखियां बनवाकर बेच चुकी हैं। इन सभी कार्यों के माध्यम से शिखा 1200 से ज्यादा महिलाओं को समूह से जोड़कर रोजगार दे चुकीं हैं जो घर बैठे काम कर अपना भुगतान प्राप्त कर रही हैं।
संघर्ष कर बनाया मुकाम शिखा की राह इतनी आसान नहीं थी। 22 मार्च 2020 को लाकडाउन लगने से तीन दिन पहले ही उसने एक निजी कंपनी में नियुक्त हुईं। वहाँ उसे सामान बेचने का प्रशिक्षण मिला। वह इसके माध्यम से आगे बढ़ने के सपने बुन रहीं थीं कि लाकडाउन ने सपनों पर ग्रहण लगा दिया। इसके बाद शिखा ने दृढ़ निश्चय किया। इसके साथ ही गीता की लाइनें - ’’ कर्मण्ये वाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन ’’ एवं गुरुदेव जगदीश चंद्र उपाध्याय की सीख- ’’ नरसेवा नारायण सेवा ’’ को मन में रखकर कुछ करने का हौसला भरा। उनके पास कपड़ों की कतरन थी और सिलाई-बुनाई जानती थीं। इसलिए मास्क बनाने में लग गईं। मार्च में उन्होंने 250 से ज्यादा मास्क बनाकर तत्कालीन तेजी बाजार के पुलिस उपनिरीक्षक अजीमुसलाम के माध्यम से गरीबों में वितरित कराया। फिर सोशल नेटवर्किंग साइट के माध्यम से विधायक रमेश चंद्र मिश्रा से जुड़ीं और उनसे मास्क बनाने के लिए कच्चा माल मांगा। कच्चा माल मिलने पर माता-पिता, भाई और बहन के सहयोग से 6,000 मास्क तैयार किए और विधायक के सहयोग से उसे गरीबों में बांटा।
इस बीच सचिव दुर्गेश तिवारी से सम्पर्क किया और उन्होंने बदलापुर ब्लाक के लिए 6000 मास्क बनवाये। शिखा ने अप्रैल में बख्शा ब्लाक अंतर्गत सराय विभार (परसावां) में समूह का गठन किया जिससे उन्हें निर्माण कार्य के लिए पैसे मिलने लगे। उनके समूह में 12 सदस्य हैं और सभी महिलाएं हैं। इस समूह ने तत्कालीन जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह को 800 मास्क बनाकर दिये थे। शिखा का समूह प्रमुख समूह था जिसने और समूहों को जोड़कर सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए 5000 ड्रेस तैयार किए। स्कूल के एक सेट ड्रेस तैयार करने के 100 रुपए मिले जबकि 5000 ड्रेस तैयार करने पर पांच लाख रुपए मिले जो कि बख्शा, बदलापुर और महराजगंज ब्लाक के समूह की महिलाओं में उनके द्वारा तैयार उत्पाद के आधार पर बंट गए।
रक्षाबंधन आया तो इस समूह ने आपस में पैसे इकट्ठा कर बाहर से कच्चा माल मंगाया और दो हजार राखियां तैयार कीं। इससे 10,000 की कमाई हुई जिसे समूह की महिलाओं ने माल तैयार करने की क्षमता के अनुसार आपस में बांट लिए। इस काम में पूर्वांचल विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर निर्मला एस मौर्या तथा महिला अध्ययन केंद्र की प्रोफेसर डॉ जान्हवी ने सहयोग किया। शिखा का अपने गांव का समूह दो साल में 1.25 लाख की कमाई कर चुका है और समूह की महिलाओं में उनके कार्य के अनुसार 4 से 12 हजार तक का भुगतान कर चुका है। समूह बनाने में बदलापुर के ब्लाक मिशन मैनेजर अनिल मौर्या ने सहयोग किया। वह ब्लाक महराजगंज में दो वर्ष में 100 से ज्यादा समूह बनवा चुकी हैं। समूह की महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी करतीं रहतीं हैं। पार्ट टाइम सेलिंग का भी काम कर समूह की महिलाओं को रोजगार देने की कोशिश करतीं हैं। वह बच्चों से संबंधित बालपोष, च्यवनप्राश, महिलाओं के लिए बैलेंस न्यूट्रिशन की भी मार्केटिंग करतीं हैं। जिला प्रोबेशन अधिकारी अभय कुमार कहते हैं कि मिशन शक्ति के मुख्य उद्देश्यों में उन्हें स्वावलंबी बनाना पहले स्थान है। इतने कम समय में अपनी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर उन्होंने यह मुकाम हासिल कर लिया है। शिखा जिले की साहसी बेटियों में है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला मिशन प्रबन्धक विनीत चतुर्वेदी कहते हैं कि शिखा ने मास्क, स्कूल ड्रेस, राखी के साथ-साथ अपने उत्पाद को भी वाराणसी सरस मेले में लगाया। केंद्र की योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को गरीबी से निकालने के लिए उन्होंने रास्ता दिखाया। समूहों को मिशन की तरफ से रिवाल्विंग फंड तथा सामुदायिक निवेश निधि की धनराशि दी जाती है। समय-समय पर उन्हें हुनरमंद बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।