इनोवेशन के लिए पेटेंट की प्रक्रिया जरूरी: यशवंत देव

 जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट सेल (आईपीआर)की ओर से तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन आईपीआर के विविध आयामों पर चर्चा की गई। बतौर मुख्य अतिथि वैज्ञानिक एवं हेड, टाई फैक नई दिल्ली के डॉ यशवंत देव पंवार ने कहा कि अपनी बौद्धिक संपदा की सुरक्षा के लिए आईपीआर जरूरी है। उन्होंने इनोवेशन के पेटेंट की प्रक्रिया पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने रामायण की संजीवनी बूटी का उदाहरण देकर पेटेंट को समझाया। एकलव्य की धनुर्विद्या का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि द्रोणाचार्य ने इसे अपने इनोवेशन का उल्लंघन माना और अंगूठा काटने की सजा दी। आईआईटी कानपुर के रिसर्च इस्टाबिल्समेंट ऑफिसर श्री रवि पांडेय ने बताया कि क्या पेटेंट हो सकता है क्या नहीं हो सकता है? उन्होंने पेटेंट फाइलिंग और चेकिंग के बारे में स्टेप बाई स्टेप विस्तार से जानकारियां दी। उमानाथ सिंह इंजीनियरिंग संस्थान के संकायाध्यक्ष प्रो. बी बी तिवारी ने कहा कि पूर्वांचल में खासतौर से जौनपुर के लोगों में प्रतिभा की कमी नहीं है। वह अपनी बौद्धिक संपदा को कैसे सुरक्षित रखें, इसकी जानकारी अधिकतर लोगों को ‌नहीं है। ऐसे में आईपीआर की कार्यशाला उनके लिए काफी फायदेमंद साबित होगी। स्वागत भाषण कार्यशाला के सह संयोजक राजकुमार ने किया। संचालन डॉ राम नरेश यादव और धन्यवाद ज्ञापन डॉ मनीष कुमार गुप्ता ने किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रो. अशोक कुमार श्रीवास्तव, प्रोफेसर राजेश शर्मा डॉ एस पी तिवारी प्रो.विक्रमदेव शर्मा, डॉ. प्रमोद यादव, डॉ रजनीश भास्कर, डॉ. सुनील कुमार, डॉ.आलोक गुप्ता, डॉ. रसिकेश, डॉ. गिरधर मिश्र, डॉ अम्रेंद्र कुमार सिंह, डॉ.पुनीत धवन, ऋषि श्रीवास्तव, अरुण कुमार मौर्य, मधुमिता सिंह, डॉ जितेंद्र कुमार, डॉ रामचंद्र, प्रवेश कुमार आदि ने प्रतिभाग किया।

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