कृषि कानूनों का विरोध 'बौद्धिक बेईमानी' और 'राजनीतिक छल' है : मोदी

नई दिल्ली, भाषा।  नए कृषि कानूनों के विरोध को लेकर विपक्ष पर पीएम नरेंद्र मोदी ने निशाना साधा है। कृषि कानूनों की आलोचना पर विपक्ष पर 'बौद्धिक बेईमानी' और 'राजनीतिक छल' का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नागरिकों को लाभ पहुंचाने के लिए कड़े और बड़े फैसले लेने की जरूरत है। यह फैसले दशकों पहले ही ले लेने चाहिए थे।   
ओपन मैगजीन को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि कानूनों का बचाव करते हुए कहा कि इनमें कुछ पार्टियां चुनाव से पहले बड़े-बड़े वादे करती हैं। फिर जब वक्त आता है तो यू-टर्न ले लेती हैं। अपने किए वादों को लेकर गनगढ़ंत और झूठी बातें फैलाती हैं। ओपन मैगजीन को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'भारत के लोग जिन चीजों के हकदार हैं, जो फायदे उन्हें दशकों पहले मिलने चाहिए थे, वे अब तक उन तक नहीं पहुंचे हैं। भारत को ऐसी स्थिति में नहीं रखा जाना चाहिए, जहां उसके नागरिकों को अपना हक पाने के लिए इंतजार करना पड़े। हमें उन्हें उनका हक देना चाहिए। इसके लिए बड़े फैसले लेने चाहिए और जरूरत पड़ने पर कड़े फैसले भी लेने चाहिए।' 
 प्रधानमंत्री मोदी ने यह बात श्रम और कृषि कानूनों और प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा इन्हें वापस लेने की मांग को लेकर सवाल का जवाब देते हुए कही। बता दें कि सत्तारूढ़ भाजपा का कहना है कि कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए इसी तरह के कृषि सुधारों का वादा किया था, लेकिन अब राजनीतिक स्वार्थ के कारण नए कानूनों के विरोध का समर्थन कर रहे हैं।

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