कर्ज के बोझ तले दबे युवक ने रच डाली अपने अपहरण का नाटक

 जौनपुर। केराकत कोतवाली क्षेत्र के पूरनपुर गांव निवासी 22 वर्षीय नीरज यादव का अपहरण नहीं हुआ था। कर्ज के बोझ तले दब जाने पर तकादा किए जाने से आजिज आकर उसने अपने अपहरण का नाटक रचा था। तीसरे दिन घर लौटने के बाद पुलिस ने उसे कस्टडी में लेकर कड़ाई से पूछताछ की तो उसने पूरा सच खुद उगल दिया। तब जाकर पुलिस ने राहत की सांस ली।  

 नीरज यादव गुरुवार को दोपहर अपनी मां को साथ लेकर बाइक से बाजार के लिए निकला था। रास्ते में अकबरपुर बाजार में उसने अपनी मां को एक दुकान पर बैठा दिया। कहा कि जो सामान लौटाना है, वह घर पर ही भूल आया है। कुछ देर में लेकर आता है। काफी देर बीत जाने पर भी वह नहीं आया तो उसकी मां घर पहुंच गई। जब पता चला कि वह घर तो आया ही नहीं तो स्वजन चितित होकर तलाश करने लगे। पता न चलने पर किसी अनहोनी की आशंका जताते हुए देर शाम कोतवाली में लिखित सूचना दी। पुलिस ने गुमशुदगी का मामला दर्ज कर लिया। पुलिस व स्वजन तलाश में जुट गए। खोजबीन के दौरान शुक्रवार को खुज्झी मोड़ पर एक चाय की दुकान पर उसकी बाइक खड़ी मिली। 
शनिवार की भोर में नीरज ने स्वजन को फोन पर सूचना दी कि वह वाराणसी के कैंट स्टेशन पर है। स्वजन गए और उसे घर लाए। नीरज ने बताया कि रास्ते में पोखरे के पास से बदमाशों ने उसे रुमाल सुंघाकर बेहोश कर दिया। इसके बाद उसने खुद को एक कमरे में बंद पाया। शुक्रवार को कार से कहीं ले जा रहे थे कि रास्ते में पुलिस चेकिग होती देख उसे उतार दिया। वहां से वह किसी तरह कैंट पहुंचा। पुलिस को उसकी कहानी संदिग्ध नजर आई। पूछताछ में खुद को फंसता देख नीरज ने पूरा सच उगल दिया। नीरज की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उसने कई लोगों से कर्ज ले रखा था। उनके तकादा करने वालों से परेशान होकर अपहरण का नाटक रच दिया था।

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