रहमतों व बरकतों का महीना है माहे रमजान: मौलाना सफदर हुसैन
जौनपुर। रविवार को माहे रमजान के पहले दिन मस्जिदों में रोजेदारों ने सुबह सहरी रखने के बाद सुबह की नमाज को अदा किया और दिनभर इबादतों व कुरआन की तिलावत करने के साथ साथ शाम को मगरिब के बाद इफ्तार कर अपना पहला रोजा पूरा किया। गौरतलब है कि विगत दो वर्षों से कोरोना महामारी के चलते मस्जिदों में ब जमात नमाज नहीं हो पा रही थी तो वहीं तरावीह पढ़ने वाले भी नहीं के बराबर पहुंचते थे लेकिन शनिवार की रात रमजान मुबाकर महीने का चांद जैसे ही नमूदार हुआ सभी के चेहरों पर खुशी साफ झलक रही थी। रोजेदारों ने मस्जिदों में जाकर तरावीह बा जमात पढ़ी तो वहीं रविवार को घरों में महिलाओं ने बच्चों के साथ मिलकर शाम को इफ्तार का इंतजाम किया।
घरों में महिलाओं ने कुरआन के पारों को पढ़कर मुल्क में अमन चैन की दुआएं खुदा से मांगी तो वहीं क ोरोना जैसी महामारी से छुटकारा दिलाने के लिए शुक्रिया अदा किया। साथ ही ये दुआ कि पूरी दुनिया को ऐसी बीमारियों से खुदा दूर रखे। मगरिब के वक्त शहर की अटाला मस्जिद, बड़ी मस्जिद, शाहीपुल की लाल मस्जिद, बंेगमगंज सदर इमामबाड़ा, शिया जामा मस्जिद सहित प्रमुख मस्जिदों में रोजेदारों की मौजूदगी ने मस्जिदों में चार चांद लगा दिया। सभी ने एक साथ मिलकर बा जमात नमाज को अदा किया और इफ्तार से अपना रोजा खोला। शिया धर्मगुरू मौलाना सफदर हुसैन जैदी ने बताया कि यह महीना रहमतों और बरकतों का महीना है इस महीने में गरीबों को जहां लोगों की मदद सदका व खैरात के जरिए करनी चाहिए। इसी महीने में आसमानी किताब दुनिया में नाजिल हुई थी जिसमें हमारी कुरआन शरीफ भी शामिल है। इसी महीने में हमारे पहले इमाम हजरत अली अ.स. की शहादत भी हुई थी। 18 रमजान को मस्जिदे कूफा में सुबह की नमाज के वक्त इस्लाम के दुश्मनों ने तलवार से सर पर वार कर घायल कर दिया था और 20 रमजान को उनकी शहादत हो गई थी। ऐसे में शिया समुदाय तीन दिनों तक उनका गम मनाता है तो वहीं 22 रमजान को विश्ेाष नमाज आमाल पूरी रात अदा की जाती है। इस नमाज में लोग अपनी मन्नतों क ो मांगने के साथ साथ बीते एक वर्ष में जो नमाज किन्हीं कारणों से छूट जाती है उसे अदा कर खुदा से अपने परिवार व मुल्क के लिए दुआ मांगते हैं। मौलाना सफदर हुसैन जैदी ने कहा कि ऐसे में चाहिए कि हम पहले अपने पड़ोसी का ध्यान रखें फिर अन्य जरूरत मंदों की मदद करें जिससे कि रमजान के महीने में खुदा जो जन्नत का दरवाजा खोल देता है जिससे की रमजान के महीने मंे अपनी नेकियो के जरिए जन्नत की खुशबू महसूूस कर सकें। इसके अलावा शैतान के फितने व फसाद से बच सकें।