डीएम से शिकायत के डेढ़ माह बाद गांव पहुंची जांच टीम
डेढ़ माह बीत जाने के बाद जब ग्राम पंचायत की जांच नहीं हुई तो शिकायतकर्ता विकास भवन पहुंचकर जांच अधिकारी उपायुक्त स्वतः रोजगार से सम्पर्क किये। उन्होंने कहा कि गर्मी बहुत है। जून के पहले या दूसरे सप्ताह में जांच हो जायेगी। इसके बाद शिकायतकर्ताओं ने 1 जून को मुख्य विकास अधिकारी से आपबीती बतायी जिस पर उन्होंने जांच अधिकारी को फोन पर ही तत्काल आदेश दिया कि हर हाल में दो दिन के भीतर जांच कर रिपोर्ट सौंपी जाय। इस पर जांच अधिकारी 2 जून को उपायुक्त स्वतः रोजगार शिकायतकर्ताओं को बिना सूचना दिये गांव पहुंचकर प्रधान से मिलकर लीपापोती करने लगे। शिकायतकर्ताओं को सूचना मिली कि जांच करने टीम गांव में आयी है जिस पर शिकायतकर्ताओं ने मौके पर पहुंचकर जांच अधिकारी से पूछा कि आप हमें सूचना क्यों नहीं दिये तो वह भड़क गये। साथ ही कहने लगे कि ज्यादा स्मार्ट न बनो।
इतना ही नहीं, जांच में शिकायतकर्ताओं की शिकायत के आधार पर जांच न करके प्रधान के पक्ष में जांच करके चले गये। साथ ही शिकायतकर्ता के सवाल पर बार-बार भड़क रहे थे। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वह जांच नहीं, बल्कि झगड़ा करने आये हैं। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि अधिकारी पहले ही प्रधान से पहले साठ-गांठ कर लिये थे जिसके चलते सही तरीके से जांच नहीं हो पायी। शिकायतकर्ताओं ने बताया कि आरसीसी बेंच का 4 बार में दो लाख रुपये निकाला गया परन्तु केवल दो आरसीसी बेंच मंदिर पर लगाया गया। इसके अलावा ऐसे तमाम गोलमाल किये गेय हैं लेकिन जांच अधिकारी की मिलीभगत से शिकायतकर्ताओं की समस्याओं का समाधान नहीं हो सका।