दूल्हे के पिता की मौत के चलते सादगी के साथ शादी की रस्म हुईं पूरी

 जौनपुर।  बरात जाने के एक दिन पूर्व सड़क हादसे में पिता की मौत के बाद देर रात दास संस्कार करने के बाद दूसरे दिन कन्या पक्ष के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए वर पक्ष के लगभग बीस लोग बिना बाजा-गाजा के गुरुवार को निर्धारित दिन बरात लेकर गाजीपुर गए। सादगी के साथ शादी की रस्म पूरी हुईं। इसके बाद शाम को दुल्हन की विदाई कराकर वापस लौट आए।  

 चंदवक थाना क्षेत्र के फरीदपुर (हरिहरपुर) गांव के वीरेंद्र राम के बेटे मनीष की शादी गुरुवार को गाजीपुर जिले के खानपुर के कोसड़ा गांव के अरुण राम की पुत्री नेहा कुमारी के साथ होनी तय हुई थी। कई दिनों से वीरेंद्र राम बेटे की शादी की तैयारियों में पूरे उत्साह के साथ जुटे थे। शादी के एक दिन पूर्व बुधवार को घर पर दावत का इंतजाम किया था। दावत के लिए बकरा खरीदने बाइक से सुबह जाते समय आजमगढ़-वाराणसी राजमार्ग पर गोनौली गांव के पास ट्रक की चपेट में आने से वीरेंद्र राम की मौत हो गई और पीछे बैठे गांव के ही बहादुर गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसे के बाद परिवार में मचे करुण-क्रंदन से एकबारगी लगा कि शादी स्थगित हो जाएगी। उधर, कन्या पक्ष ने शादी की सभी तैयारियां पूरी कर रखी थीं। 
देररात दाह संस्कार करने के बाद नात-रिश्तेदार बैठे। मनीष के नाना वीरेंद्र नारायण ने सुझाव रखा कि जो होना था, सो हो गया। अब शादी स्थगित कर कन्या पक्ष को क्यों परेशान किया जाए। पूरी सादगी के साथ निर्धारित ढंग से शादी करना ही अच्छा होगा। शायद यही विधि का विधान हो। सभी सहमत हो गए। गुरुवार को दोपहर वीरेंद्र नारायण, चाचा योगेंद्र प्रसाद, मौसा केशव प्रसाद, मामा सुभाष राम, आशीष कुमार और जीजा सिकंदर प्रसाद समेत करीब 20 करीबी नात-रिश्तेदार पूरी सादगी के साथ मनीष की बरात लेकर अरुण राम के दरवाजे पहुंचे। बोझिल माहौल में सिदूर दान व सात फेरों के बाद शाम को दुल्हन को विदा कराकर घर ले आए। जब दुल्हन दरवाजे पर पहुंची तो पुन: करुण-क्रंदन से माहौल गमगीन हो गया, हालांकि आसपास के लोगों व रिश्तेदारों ने समझा-बुझाकर शांत कराया।

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