कवयित्री गीता श्रीवास्तव को दी गयी श्रद्धांजलि

 जौनपुर। साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था कोशिश की मासिक काव्य गोष्ठी जज कालोनी में प्रख्यात शायर प्रेम जौनपुरी की अध्यक्षता में हुई जहां प्रो. आरएन सिंह ने गीता श्रीवास्तव के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने उनकी पंक्ति- जिनकों कंधों पर हमने उछाले बहुत, वे भी कंधा मेरा आजमाने लगे। उन्हें याद करते हुए अहमद निसार ने कहाहर कलमकार कसीदा नहीं लिखता लेकिन हर कलमकार ने लिक्खा है कसीदा दिल का। 

वरिष्ठ साहित्यकार गिरीश जी की मुक्तक ‘हमेशा देती थी साहस, छिपा लेती थी आंसू को, कभी बच्चों के अपने सामने रोई नहीं अम्मा’ ने श्रोताओं को भाव-विभोर कर गया। जनार्दन अस्थाना का गीत अपने बड़ों के प्यार का होता था आचमन, कितना हसीन हमारा प्यारा बालपन।। बचपन के खुशनुमा दिनों की याद करा गया। प्रखर की रचना ‘भगत सिंह मरा नहीं, हर नौजवान में जिंदा है’ ने राष्ट्रप्रेम की अलख जगा दिया। डा. पीसी विश्वकर्मा का शेर ‘गम नहीं तेरी दोस्ती न मिली, गम है वजहें दुश्मनी न मिली’ सबको हिला दिया। रामजीत मिश्र की रचना ‘अभी तक हौसला हारे नहीं हैं’ आशा का संदेश दे गयी। गोष्ठी में आरपी सोनकर, अंसार जौनपुरी, एहसास जौनपुरी, नन्द लाल समीर, अनिल उपाध्याय, अमृत प्रकाश, सुशील दुबे, फूलचन्द्र भारती, डा. विमला सिंह, दमयंती सिंह, रमेश सेठ, सुमति श्रीवास्तव, आलोक रंजन, रूपेश साथी, शोहरत जौनपुरी, सुरेन्द्र यादव, संजय सेठ जेब्रा, विपिनेश श्रीवास्तव, मोनिस जौनपुरी, लल्लन उपाध्याय, संजय उपाध्याय, ज्ञान जी ने भी अपनी कृतियों से भावांजलि अर्पित किया। गोष्ठी का संचालन अशोक मिश्र ने किया। अन्त में कुमार अंकित श्रीवास्तव ने समस्त रचनाकारों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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