‘दिन में बदर, रात निबदर बहे पुरवइया झबर झबर.....

 जौनपुर। ‘दिन में बदर, रात निबदर बहे पुरवइया झबर झबर, कहे घाघ कुछ होनी हुई, कुआं क पानी धोबी धोइ’ महान किसान कवि घाघ की कहावत चरितार्थ होते दिखने लगी है। सावन महीने में बारिश ना होने से खेतों में धान की नर्सरी सूख रही है। किसानों की आंखों से पानी निकल रहा है। सावन का महीना और बारिश का दूर-दूर तक नामो निशान नहीं। सूखे जैसे हालात से किसान चिंतित है। 

किसानों ने जैसे-तैसे जिन खेतों में पानी भरकर धान की नर्सरी तैयार की थी। उसमें भी दरारें पड़ गई हैं। इसमें पौधे सूखने लगे हैं। पानी के अभाव में हजारों हेक्टेयर खेत खाली पड़े हैं। उनमें रोपाई नहीं हो पा रही है। इंद्रदेव की नाराजगी के साथ नहरों के धोखा देने से किसानों का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। निजी नलकूपों से सिंचाई कराने में आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। बारिश न होने से जिले में सूखे जैसे हालात बनते जा रहे हैं। धान की रोपाई प्रभावित हो रही है। हरिहरपुर के किसान विशाल यादव का कहना है कि अगर जल्द बारिश नहीं हुई तो खेत मे खड़ी नर्सरी सूख जाएगी। कुछ किसानों ने पौधे को सूखने से बचाने के लिए डीजल डालकर इंजन से सिंचाई भी शुरू कर दिया है लेकिन तेल के दाम आसमान पर होने से खेती की लागत काफी बढ़ जा रही है।

 ऐसे में कई किसान इंजन से सिंचाई करने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहे हैं। जंगीपुर कला के किसान कैलाश यादव ने बताया कि जब खेतों में पानी की सख्त जरूरत है। तब सूखे जैसे हालात हैं, माइनर में पानी ना आने से किसानों की चिंता दोगुनी हो गई है। प्रशासन की लापरवाही की तरफ इशारा करते हुए वह कहते हैं कि माइनर व तालाब सूखे पड़े हैं। अधिकारी किसानों की समस्या पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। धौरइल निवासी किसान शैलेश मिश्रा का कहना है कि मक्का और बाजरे की खेती बारिश न होने से बर्बाद हो गया है जिससे जानवरों के चारे का संकट उत्पन्न हो गया है।

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