मैथिलीशरण गुप्त का व्यक्तित्व राष्ट्रीयता का प्रकाश स्तंभ- डॉ.त्रिपाठी

 

जौनपुर। "सांस्कृतिक तत्वों से संबंधित नवजागरण की राष्ट्रीय काव्यधारा को जिस कवि और साधक ने सर्वाधिक बल, प्रचार और प्रसार प्रदान किया उसका नाम है-मैथिलीशरण गुप्त। गुप्त जी ने भारतीय सभ्यता, संस्कृति एवं राष्ट्रीयता का उद्गायन करके उसे एक व्यापक परिपार्श्व, एक उच्च क्षितिज एवं उच्चादर्श-भूमि प्रदान की। इसी कारण मैथिलीशरण गुप्त आधुनिक हिंदी काव्य के प्रमुख एवं प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं।" उक्त उद्गार तिलकधारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिंदी विभाग में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती पर आयोजित गोष्ठी में डॉ.महेंद्र कुमार त्रिपाठी ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि "वही मनुष्य है जो मनुष्य के लिए मरे"- का उद्घोष करने वाले कविवर मैथिलीशरण गुप्त ने मानव मंगल में ही सत्य, सुंदर, श्रेय-प्रेय के दर्शन किए। वे युग धर्म के सफल चितेरे थे। उनका कृतित्व राष्ट्रीयता और संस्कृति का प्रकाश-स्तंभ बन कर स्वच्छ-मुक्त आलोक चिरकाल तक लुटाता रहेगा।

  कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. रूद्र नारायण ओझा ने कहा कि "नर हो न निराश करो मन को" पंक्ति के माध्यम से मैथिलीशरण गुप्त ने सामान्य जन को यह संदेश दिया कि कर्तव्य-पथ पर चलते जाना है, निराशा को अपने अंदर जगह नहीं देनी है। उन्होंने भारतीय संस्कृति का अनन्य भाव से उद्गायन किया। साकेत महाकाव्य के रूप में उन्होंने हिंदी साहित्य को एक कालजयी कृति प्रदान की। हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो.सुषमा सिंह ने कहा कि गुप्त जी ने मंगलकारी जीवन-मूल्यों की स्थापना का अनवरत प्रयास किया। "अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी, आंचल में है दूध और आंखों में पानी।"- के माध्यम से उन्होंने नारी के प्रति अपनी करुणा व्यक्त की।

  हिंदी विभाग के प्रो.राजदेव दुबे ने कहा कि संस्कृति-संयत राष्ट्रीय अवधारणाओं को सचेतन रूप में साकार करने के कारण ही वे राष्ट्रकवि जैसे उच्च पद अधिष्ठित हुए। उन्होंने हिंदी साहित्य को लगभग 40 कृतियाॅं दीं, जिनमें साकेत, भारत-भारती, विष्णुप्रिया, यशोधरा, द्वापर, सिद्धराज, जय भारत आदि प्रमुख हैं।

  हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रीय हित-साधन की दिशा में आजीवन अग्रसर रहे, इसी कारण वे भारतीय संस्कृति एवं राष्ट्रीयता के पुरोधा गायक कहलाए। लोक कल्याण को उन्होंने जीवन और साहित्य का सब कुछ माना। 

  कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र एवं छात्राएं उपस्थित रहे।

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