माध्यमिक शिक्षा को समाप्त करने का सुनियोजित खडयंत्र हो रहा है :.रमेश सिंह।

जौनपुर। सरकार चाहे जब, और जिस पार्टी की रही हो, उसके तुगलकी फरमानों और प्रयोगों का खामियाजा सदैव माध्यमिक शिक्षा और शिक्षकों को ही भुगतना पड़ता है।वर्तमान सरकार  तो कभी शिक्षा के सरलीकरण के नाम पर तो कभी शिक्षा की गुणवत्ता एवं स्तर सुधारने के नाम पर  रोज नए-नए दमनात्मक आदेश जारी कर माध्यमिक शिक्षा को चौपट करने पर तुली हुई है।इसका प्रत्यक्ष प्रमाण विभाग द्वारा जारी 07 सितंबर 2022 का आदेश है, जो शिक्षकों को सरप्लस बताकर समायोजित करने के सम्बन्ध में है।प्रदेश और देश की आबादी बढ़ी है,उसके सापेक्ष सरकार द्वारा चलायी जाने वाली सामाजिक कल्याण योजनाओं के बजट में भारी-भरकम वृद्धि हुई है लेकिन माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के पद एक सोची समझी साजिश के तहत जनशक्ति के नाम पर कम किए जाते रहे हैं जबकि छात्रों की संख्या काफी बढ़ी है।अब एक नया तरीका सरकार ने पूर्व में सृजित पदों के औचित्य जांचने का निकाला है जिसके द्वारा एक बार फिर विभिन्न विद्यालयों में शिक्षकों के पद कम कर दिए जाएगें।इतना ही नहीं ,जांच के नाम पर शिक्षकों का भरपूर शोषण भी अधिकारियों द्वारा किया जाएगा।उ0प्र0मा0शि0संघ सेवारत न केवल इस आदेश की निन्दा करता है बल्कि समायोजन के नाम पर यदि शिक्षकों का शोषण हुआ तो उ0प्र0मा0शि0संघ सेवारत सड़क से लेकर माननीय न्यायालय तक संघर्ष करने से भी पीछे नहीं हटेगा।उक्त बातें कहते हुए रमेश सिंह ने अवगत कराया है कि सरकार पूरी माध्यमिक शिक्षा को ही पंगु बनाने पर तुली हुई है।इसका जीता जागता प्रमाण सरकार द्वारा माध्यमिक शिक्षा अधिनियम 1921 के मान्यता सम्बन्धी प्रावधान में कल किया गया संशोधन है जिसके द्वारा वित्त विहीन माध्यमिक विद्यालयों को अब धारा 7 क(क) की जगह धारा 7(4)में मान्यता दी जाएगी।इससे वित्त विहीन शिक्षक साथियों को लिए वेतन वितरण अधिनियम के तहत वेतन मिलने में तो संशय है, क्योंकि संशोधन में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इन शिक्षकों को वेतन विद्यालय प्रबन्धन देगा।लेकिन इससे सरकार आज नहीं तो कल यह कहते हुए कि यदि 7(4) से आच्छादित वित्त विहीन विद्यालयों को अनुदान से वंचित रखा गया है तो सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों को अनुदान क्यों दिया जाय?इस प्रकार पूरी माध्यमिक शिक्षा का ही निजीकरण कर दिया जायगा जो इस सरकार की पहली प्राथमिकता है।इसलिए शिक्षक साथियों को संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा।



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