हिंदी भारतीय एकता का प्रतिनिधित्व है : डॉ अंजना सिंह

हिंदी शताब्दियों से राष्ट्रीय एकता का माध्यम रही है !!सर्वप्रथम गांधी जी ने 19 18 में हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की बात कही थी, फिर वहीं से आगे चलकर  14 सितंबर 1949 को काफी विचार-विमर्श के बाद हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया, देखा जाए तो आज विश्व में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषाओं में हिंदी चौथे नंबर पर है, लेकिन आज अंग्रेजी भाषा की वजह से हिंदी भाषा की लोकप्रियता गिरती जा रही है हालाकी हिंदी भाषा को जानने समझने और बोलने वाले लोग देश के कोने कोने में फैले हुए हैं !एक तरफ  हिंदी दिवस मनाने का हमारा मुख्य उद्देश्य ही है कि हिंदी भाषा की संस्कृति को बढ़ावा देना और पूरे विश्व में इसे फैलाना !आज हिंदी के स्वरूप को बृहद  करने के लिए जगह-जगह हिंदी सप्ताह का भी आयोजन किया जाने लगा है जिसके तहत निबंध भाषण काव्य गोष्ठी वाद विवाद जैसी प्रतियोगिताएं कराई जाने लगी है ताकि लोगों में इस भाषा के प्रति रुचि जागे और वे प्रतियोगिताओं में भाग ले और भाषा के ज्ञान को बढ़ाएं क्योंकि आजकल लोग अंग्रेजी सीखने के लिए उत्सुक है और कहीं ना कहीं यह महसूस करते हैं कि यदि वह हिंदी बोलते हैं तो उनके कैरियर या उनकी प्रगति में बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं! लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए लोगों के लिए आगे बढ़ना और अन्य भाषाओं को सीखना महत्वपूर्ण है लेकिन हमारी मातृभाषा के महत्व को भूलना या कम करना यह सही नहीं है आज स्थिति यह हो गई है कि हमारे अपने ही देश में लोग हिंदी विद्यालयों में अपने बच्चों को दाखिला दिलाने में संकोच महसूस करते हैं हमारे इसी रवैए ने हमारे अपने ही देश में हिंदी को दोयम दर्जे की भाषा मान कर रख दिया है आज हमें लोगों को यह समझाने का प्रयास करना चाहिये कि आप अपने बच्चों को अंग्रेजी अवश्य सिखाएं पर एक दूसरी भाषा के रूप में ना कि प्राथमिक भाषा के रूप में !आज हम सभी में अंग्रेजी भाषा और तौर तरीकों को अपनाने की होड़ मची हुई है जिसके लिए हम अपनी मूल भाषा और रहन-सहन तक को छोड़ने के लिए तैयार हो गए हैं यहां तक की जो लोग हिंदी बोलते हैं उन्हें हाई क्लास उत्साहीओं द्वारा संदेह की दृष्टि से देखा जाता है इसलिए लोग सार्वजनिक स्थानों पर हिंदी बोलने में शर्म महसूस करते हैं लेकिन मैंने देखा है कि बहुत  से शिक्षित लोग हिंदी में बहुत आत्मविश्वास से बातचीत करते हैं इसलिए हमें अपनी भाषा का प्रयोग करते समय गर्व महसूस करना चाहिए और अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में यथासंभव हिंदी भाषा का इस्तेमाल करते रहना चाहिए और लोगों के बीच में इसकी व्यापकता बनाए रखना चाहिए !देखा जाए तो आज विदेशों के नागरिकों को पैसे लेकर उन्हें स्वैच्छिक कक्षाएं लगाई जाती हैं  क्योंकि हिंदी में उन्हें रुचि है हैं इसलिए हमें देश के नागरिक के रूप में समाज में आगे बढ़ने और हमारी हिंदी भाषा को  स्थाई पहचान के लिए इसका समर्थन करना चाहिए और हिंदी को सम्मान का दर्जा देना चाहिए भाषा किसी भी राष्ट्र के लिए आत्म सम्मान और गौरव का प्रतीक होती है! वह दिन दूर नहीं जब हिंदी विश्व की भाषाओं में द्वितीय स्थान पर  होगी !क्योंकि राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है


मां भारती के भाल पर शोभित है जो बिंदी,
मेरी अभिव्यक्ति में कुंजित वही उत्थान है हिंदी !!
हमारी आत्मा हिन्दी हमारी साधना हिन्दी ,
हिंद के मीठे स्वरो की तान है हिन्दी!!
 मेरा स्वभाव है हिन्दी हर एक  भाव है हिन्दी ,
माँ शारदे से हमको मिला वरदान है हिन्दी !!!
मेरा इतिहास है हिन्दी और आभास है हिन्दी ,
शब्द शिशु है  तो मातृत्व की पहचान है हिन्दी !!
मेरा अभिमान है हिन्दी मेरा सम्मान है हिन्दी !!
हमारी जान है हिन्दी हमारा प्राण है हिन्दी ,
हमारी चेतना हिन्दी हमारी भावना हिन्दी !!
"अंजना" के हिय अधर का स्वाभिमान है हिन्दी!!
मेरा आधार है हिंदी मेरा व्यवहार है हिंदी,
हमारा आचरण हिंदी हमारी शान है हिन्दी!!!
डॉ अंजना सिंह 
असिस्टेंट प्रोफेसर

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