यदि नहीं चेता फायर विभाग तो जन-धन के साथ राजस्व हानि होना भी तय

 जौनपुर। फायर ब्रिगेड सर्विस द्वारा जनपद में घरेलू गैस गोदामों, होटल, बहुमंजिला भवन, गेस्ट हाउस, धर्मशाला सहित अन्य ज्वलनशील पदार्थों के व्यवसायों पर उक्त विभाग की पैनी नजर के साथ ही उनकी सक्रियता होना नितान्त आवश्यक होना चाहिये। अग्निशमन एवं अग्नि सुरक्षा से सम्बन्धित प्रशिक्षण का कार्यक्रम आयोजित करके जागरूक करना चाहिये परन्तु उक्त विभाग के अधिकारी व कर्मचारी में होड़ तो इस बात की होती है कि वसूली कितनी और कहां से किया जाय? सूचनाओं की मानें तो अग्नि शमन आरक्षी क्षेत्रों में सिर्फ वसूली करते देखे गये हैं परन्तु विभाग में इसका होड़ क्यों नहीं लगता कि मेरे द्वारा निर्गत उपकरण कार्यशील है अथवा नहीं।

 अग्नि दुर्घटनाओं को त्वरित रोकने के लिये जन-धन हानि को सुरक्षित रखने के लिये विभाग द्वारा जारी उपकरण कार्यशील स्थिति में है या नहीं। यदि औचक निरीक्षण किया कराया जाय तो निश्चित रूप से कई ऐसे गैस गोदाम भी ऐसे पाये जायेंगे जो उपकरणों को विगत कई वर्षों से खरीदी तो किया परंतु विभाग द्वारा उसकी जांच नहीं करायी, बल्कि असंवैधानिक तरीके से रिनिवल करा लिये हैं जबकि उपकरण भी क्रियाशील नहीं है। क्या यह उचित नियमावली से है? क्या विभाग द्वारा बिना उपकरण जांच के अग्निशमन प्रमाण पत्र को रिनिवल कर देना नियमावली में है? क्या विभागीय कर्मचारियों द्वारा अग्निशमन, अग्नि सुरक्षा या बचाव सम्बन्धित प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया? क्या वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, अग्निशमन अधिकारी द्वारा औचक निरीक्षण किया एवं कराया गया जिससे विभागीय लापरवाही बरतने वाले लोगो के विरुद्ध कार्यवाही हुई हो। क्या विभागीय अधिकारियों की लापरवाही व शिथिलता के कारण जन-धन की हानि के साथ ही राजस्व की भी क्षति को रोकने कार्य किया गया? ऐसे तमाम सवाल जनसामान्य में सुनने को आये दिन मिलता है।

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