लंका में आग लगने से पहले शुरू हुई बरसात,रुकी रामलीला

 

जौनपुर। विकास खंड मछलीशहर के गांव बामी में सीता हरण,बाली वध और लंका दहन का मंचन किया जाना था लेकिन लंका में आग लगने से पहले बारिश ने अड़ंगा डाल दिया। सीता हरण के पश्चात राम और लक्ष्मण शबरी के बताये पते पर किष्किंधा पर्वत पर पहुंचते हैं।

 हनुमान ब्राह्मण भेष में आकर राम से मिलते हैं।राम से परिचय होने पर हनुमान अपने असली रूप में आ जाते हैं और राम को सुग्रीव से ले जाकर मिलाते हैं। अग्नि को साक्षी मानकर राम और सुग्रीव मित्र बनते हैं। सुग्रीव राम को सीता के कानन कुण्डल और नुपुर दिखाते हैं। राम उन्हें पहचान जाते हैं। सुग्रीव के दुःख का कारण जानने पर वह तक्षक के सात पेड़ों को एक ही बाण से काटकर बाली वध का प्रण करते हैं। सुग्रीव बाली को जाकर ललकारते हैं। सुग्रीव से युद्ध करते समय राम पेड़ों के पीछे से तीर चला देते हैं।बाली कराहते हुए जमीन पर गिर पड़ते हैं।बाली और राम में लम्बा संवाद चलता है। अन्ततः बाली अपने पुत्र अंगद का हाथ राम के हाथों में सौपकर अपने प्राण त्याग देते हैं। सुग्रीव का राजतिलक होता है। बरसात के बाद वानरी सेना सीता की खोज में निकल पड़ती है। समुद्र किनारे वानरों की भेंट जटायु के भाई संपाती से होती है।संपाती वानरों को बताते हैं कि सीता लंका में अशोक वाटिका में हैं। जामवंत हनुमान को उनका बल  याद दिलाते हैं। हनुमान समुद्र लांघने को छलांग लगा देते हैं। समुद्र में सुरसा की बाधा पारकर हनुमान लंका पहुंचते हैं। लंका में हनुमान विभीषण से मिलते हैं। विभीषण हनुमान को सीता का पता बताते हैं। इतने में बरसात शुरू हो जाती है और रामलीला का मंचन बीच में ही रोक दिया जाता है।

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