विश्व के दो प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में पीयू की प्रो.‌वंदना राय और डॉ. मिथिलेश शामिल

 

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय की बायोटेक्नोलॉजी विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष और शिक्षकश्री पुरस्कार से सम्मानित प्रो. वंदना राय और केमिस्ट्री के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ मिथिलेश यादव ने स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी,  यूएसए और एलसेवियर बीवी द्वारा जारी विश्व के शीर्ष दो फीसदी वैज्ञानिकों की सूची में लगातार दूसरे वर्ष भी जगह बनाई है। अक्टूबर 2022 को प्रकाशित स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटीयूएसए और एलसेवियर बीवी और प्लॉस बायोलॉजी के सहयोग से विशेषज्ञों द्वारा बनाये गए " मानकीकृत उद्धरण संकेतकों के अद्यतन विज्ञान- व्यापी लेखक डेटाबेस" में विश्व के दो प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची बनाई गयी है।

प्रो वंदना राय पिछले 25 वर्षों से भी अधिक समय से बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में मानव आणविक आनुवंशिकी में स्वास्थ्य संबंधी विषयों और फोलिक एसिड से संबंधित जींस समेत कई अन्य मानसिक रोगों को प्रभावित करने वाले सिंगल न्यूक्लोटाइड पोल्यमोर्फिस्म पर महिलाओं व ग्रामीण क्षेत्र की जनता के लिए कार्य कर रही है । प्रो. राय को बायोटेक्नोलॉजी में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के साथ- साथ कई परियोजनाएं प्राप्त हुईं हैं। प्रो. राय के 100 से भी अधिक शोध पत्र अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके है। वे कई देशों का शैक्षणिक  भ्रमण भी कर चुकी है।

डॉ मिथिलेश यादव एक दशक से भी अधिक समय से पोलिमर केमिस्ट्री के क्षेत्र में कार्य कर रहे है। डॉ. यादव का शोध कार्य में 12 वर्ष से अधिक का अनुभव है। अबतक उनके 65 अंतराष्ट्रीय शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। इनके शोध का क्षेत्र पॉलीमर के संश्लेषण और अनुप्रयोग से संबंधित हैं। डॉ यादव  ने अभी तक 2005 गूगल साइटेशन स्कोर्स और 27 एच-इंडेक्स प्राप्त किया है। डॉ. यादव एमडीपीआई (ओपन एक्सेस साइंटिफिक जर्नल्स) में "पॉलिमर" जर्नल के संपादक भी रह चुके हैं। डॉ यादव आजकल पैकेजिंग के क्षेत्र में बायोपॉलिमर नैनोकम्पोजिट के सिंथेसिस और उसके एप्लीकेशन पर शोध कार्य कर रहें हैं। अभी हाल ही में डॉ यादव को यूजीसी से यूजीसी-स्टार्ट अप अनुदानविज्ञान और प्रौद्योगिकी विभागयूपी सरकार से यूपीसीएसटी अनुदान और उच्च शिक्षा विभाग से उत्कृष्टता केंद्र अनुदान के रूप में कुल 30 लाख की तीन रिसर्च ग्रांट प्राप्त प्राप्त हो चुकी है। डॉ. यादव  इससे पहले वरिष्ठ शोधकर्ता के रूप में 4-साल दक्षिण कोरिया में और दो -साल ताइवान में बायो-पॉलीमर बेस्ड थिन-फिल्म का निर्माण करके खाद्य पैकेजिंग के क्षेत्र में उपयोग कर चुके हैं। वर्ष 2014-2017 तक डॉ यादव कोठारी पोस्ट-डॉक् फेलो के रूप में जामिआ मिल्लिया इस्लामियानई दिल्ली में भी शोध कार्य कर चुकें हैं।  

कुलपति प्रो निर्मला एस मौर्य ने कहा कि यह उपलब्धि पूर्वांचल विश्वविद्यालय के परिवार के लिए सम्मान और प्रतिष्ठा की बात है। दोनों शिक्षकों की इस उपलब्धि ने विश्वविद्यालय का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान बढ़ाया है।

 इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षकोंअधिकारियों कर्मचारियों व छात्र छात्राओं ने दोनों शिक्षकों को बधाई दी हैं।

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