धान की बालियों की सुरक्षा के लिये मकड़ियों ने बुना जाला

 

जौनपुर। अक्टूबर के महीने में अब जबकि अगेती धान की बालियां लटक रही हैं और सामान्य प्रजाति की धान की फसलों में बालियां निकल रही हैं।धान की बालियों का रस चूसने के लिए इसी समय में कीट पतंगों का हमला होता है। बालियों का रस चूसने का परिणाम यह होता है कि धान की फली में मजबूत दाने नहीं बैठ पाते हैं।ऐसे में धान के खेतों में शिकार मिलने की सम्भावना अधिक होने से मकड़ियों की फौज धान के खेतों में जाला बुन रही है। 

जिसे सबेरे - सबेरे ओस पड़ने पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।इस समय धान की फसल में सबसे ज्यादा गंधी कीट के हमले का खतरा होता है जो धान की नवीन बालियों के रस को चूस लेती है जिसके कारण फली खखडी ( पइया) हो जाती है।ऐसे में मकड़ी किसान के लिए मित्र कीट का कार्य करती है। जो इन शत्रु कीटों को अपने जाले में फसा कर इन्ही कीटों का ही रस चूस ले जाती है। कृषि में रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से खेती में लाभ पहुंचाने वाले मित्र कीटों पर प्रतिकूल असर पड़ा इनमें केंचुआ और मकड़ी प्रमुख हैं। ग्रामीण इलाकों में बरसात के समय खेतों में केंचुओं की घनी आबादी हुआ करती थी किन्तु अब इसका क्षेत्र अत्यन्त सीमित हो गया।बाग बगीचों के आस पास जहां रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का प्रयोग नहीं होता है वहीं की नमी वाली भूमि में मुश्किल से केंचुए देखने को मिल पाते हैं। केंचुओं की कमी के चलते मृदा में कार्बनिक तत्वों की मात्रा निरन्तर घटती जा रही है। मकड़ी के जालों का यह दृश्य विकास खंड मछलीशहर के गांव बामी का है। जहां केवल आबादी के आस पास वाले खेतों में ही मकड़ियों की फौज सीमित है उसका प्रमुख कारण यह है कि आबादी के पास वाले इलाकों में ही घरों में ही मकड़ियों की मामूली आबादी बची होती है और आबादी के आस पास वाले खेतों में अनुकूल मौसम पाकर इन्होंने जाले बना लिये हैं किन्तु इसी गांव में ही आबादी से दूर धान के खेतों में नाम मात्र के मकड़जाल देखने को मिल पायेंगे। आबादी वाले इलाकों के खेतों में ही इनकी सघनता ज्यादा है। इस सम्बन्ध में जैविक खेती के प्रबल पक्षधर रहे गांव बामी के किसान प्रेमचंद प्रजापति कहते हैं कि मकड़ियां धान की फसल की सुरक्षा कर रही हैं।वास्तव में रसायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के प्रयोग से शत्रु एवं मित्र कीटों को बराबर का नुक़सान हो रहा है और मित्र कीटों की घटती आबादी से हमारे मन में यह भावना प्रबल होती जा रही है कि शत्रु कीटों पर नियंत्रण का एक मात्र साधन रासायनिक कीटनाशक ही हैं।यह धारणा गलत है क्योंकि प्रकृति ने शत्रु कीटों के विनाश के लिए मित्र कीटों की फौज बना रखी है किन्तु जाने अनजाने में ही हम इन्हें नष्ट करके रासायनिक कीटनाशकों का सहारा लेकर अपने ही स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

Related

डाक्टर 9141092255937626687

एक टिप्पणी भेजें

emo-but-icon

AD

जौनपुर का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

आज की खबरे

साप्ताहिक

सुझाव

संचालक,राजेश श्रीवास्तव ,रिपोर्टर एनडी टीवी जौनपुर,9415255371

जौनपुर के ऐतिहासिक स्थल

item