बीमा कंपनियों के मंडलीय प्रबंधकों के खिलाफ कोर्ट सख्त

कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि राष्ट्रीय लोक अदालत में मोटर दुर्घटना संबंधी वादों को सामाजिक कल्याण से संबंधित होने के कारण उच्च प्राथमिकता दी जाती है।बढ़ते वादों की संख्या को देखते हुए अधिकतम वादों का निस्तारण आपसी समझौते से लोक अदालत में किया जाना पक्षकारों के हित में है। विगत 13 अगस्त 2022 एवं 12 नवंबर 2022 को आयोजित लोक अदालत में यह देखा गया कि कंपनियों की ओर से लोक अदालत के पूर्व आयोजित होने वाली पांच- पांच प्री ट्रायल बैठकों में कंपनी के प्रतिनिधि के तौर पर अधिकारी न तो उपस्थित आते हैं न ही वादों के निस्तारण में रुचि लेते हैं।यह प्रवृत्ति राष्ट्रीय विचारधारा एवं जनकल्याण की भावना के प्रतिकूल तथा अत्यंत आपत्तिजनक है।बीमा कंपनियों का बीमा व्यवसाय के साथ ही जनकल्याण एवं वादों के शीघ्र निस्तारण कभी नैतिक दायित्व है। कोर्ट ने मंडलीय प्रबंधकों को आदेश दिया कि अपने अधीनस्थ सक्षम अधिकारियों को लोक अदालत की फ्री ट्रायल बैठकों में उपस्थित होने का निर्देश दें जिससे अधिकतम संख्या में वादों का निस्तारण हो एवं जन कल्याण की विचारधारा सार्थक हो। दस्तावेजों के सत्यापन कार्यों को भी प्राथमिकता के आधार पर निबटाए जाने का निर्देश जारी हुआ है।