अब नही चलेगी ग्रामप्रधान पतियों की प्रधानी !

 

अब्दुल हक अंसारी 

 जौनपुर। सीडीओ का फरमान यदि जमीन पर उतरा तो अब ग्रामप्रधान पतियों की प्रधानी नही चलेगी । मुख्य विकास अधिकारी के आदेश पर केराकत विकास खंड कार्यालय परिसर में किसी भी प्रधान व क्षेत्र पंचायत सदस्य के स्वयंभू बने प्रतिनिधियों को प्रवेश वर्जित किए जाने संबंधी पोस्टर इस समय लोगों में खूब चर्चा का विषय बना हुआ है, वहीं महिला जनप्रतिनिधियों के बल पर माननीय बने घूम रहे लोगो  में खलबली मच गयी है तथा कितनों की नींद हराम हो गया है।

दर असल जनता द्वारा निर्वाचित ग्राम प्रधान व बी डी सी सदस्य खास तौर से  निर्वाचित महिलाओं के परिजन उनके प्रतिनिधि बनकर उनके कर्तव्यों के निर्वहन हेतु विकास खंड कार्यालय में पहुंच जाते रहे हैं, तथा विकास कार्यों से संबंधित सभी कार्यों को स्वयं करते रहे हैं,तथा अधिकारियों व कर्मचारियों पर दबाव बनाने की परंपरा बना लिया था।,जिसका प्रतिफल था कि ब्लाक के अधिकारियों कर्मचारियों की शिकायत पर मुख्य विकास अधिकारी ने यह फ़रमान जारी कर दिया है कि जैसा कि विकास खंड कार्यालय केराकत  के द्वार पर चस्पा नोटिस के अनुसार विकास खंड केराकत के परिसर के अंदर किसी भी प्रधान व क्षेत्र पंचायत सदस्य के कर्तव्यों के निर्वहन हेतु कोई भी उनका प्रतिनिधि स्वीकार नहीं है ,और न ही परिसर में अनावश्यक रूप से टहलने व बैठे पाया जाये। आज्ञा से मुख्य विकास अधिकारी जौनपुर।

विकास खंड  केराकत कार्यालय के मुख्य द्वार पर लगे इस पोस्टर को लेकर क्षेत्र में काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं निर्वाचित प्रधान व बीडीसी सदस्य के बने प्रतिनिधियों में भूचाल आ गया है।

इस मामले को लेकर कुछ जागरूक लोगों का कहना है  कि सीडीओ का फरमान  यदि सिर्फ विकास खंड केराकत वालों के लिये जारी किया है  तो वह ठीक नहीं है, फरमान हो तो सभी विकास खंडों के लिए होना चाहिए,यही नहीं खुद शासन को भी इसे गंभीरता से लेकर एक गाइड लाइन बनाकर पूरे प्रदेश में लागू करना चाहिए।  ताकि त्रिस्तरीय पंचायतों में चुनी गईं महिलाएं खुद अपने घरों की चहारदीवारी से बाहर आकर अपने हक अधिकार का निर्वहन कर सकें। तभी नारी सशक्तिकरण का नारा साकार हो सकेगा, अन्यथा यह नारा अथवा स्लोगन सिर्फ बनकर ही रह जायेगा। लोगों का कहना है कि नाचे तो घूंघट क्या,और घूंघट तो नाचे क्या।कहने का तात्पर्य यह है कि जब महिलाओं को अपने घरों की चहारदीवारी में कैद रहकर व चौंका बेलना तक ही सिमटकर रहना है तो ऐसी महिलाओं को   प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य , जिलापंचायत सदस्य व ब्लाक प्रमुख बनना कोई कोई मायने नहीं रखता।

 अब देखना होगा कि सीडीओ जौनपुर का यह फरमान पूरे जनपद में लागू होगा  कि नहीं,यह तो आने वाला समय ही बताएगा। बहरहाल सीडीओ का यह कदम यानि आगाज़ तो अच्छे बता रहें हैं अंजाम क्या होगा खुदा जाने।

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