शबाना आज़मी का भी पैसा डकार गए, नहीं पूरा हो पाया भवन निर्माण

 

जौनपुर। वीर बहादुर पूर्वांचल विश्वविद्यालय में पिछले 22 वर्षों से निर्माणाधीन कैफी संचार भवन के निर्माण में एक ईंट भी नही जोड़ पाई कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस मौर्य ने। कुलपति ने 26 वे दीक्षांत समारोह के ठीक एक दिन पूर्व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को दी गई बाईट में स्वीकार किया कि मैं अपने कार्यकाल में इस बहुप्रतिक्षित भवन का निर्माण कराकर डॉ कैफ़ी आजमी को श्रद्धांजलि देना चाहती थी लेकन मैं सफल नही हो पाई। कुलपति ने अपने कार्यकाल में केवल एक हाल निर्माण कराया है पिछले कुलपति के कार्यकाल में शुरू हुए विकास कार्य भी अभी अधूरा है। एक प्रोफेसर की संदिग्ध  पीएचडी उपाधि के मामले के उन्होंने बस इतना कहा कि यह मेरे पूर्व का मामला है  इस विषय पर बात नही करूंगी।

पत्रकारित एवं जनसंचार विभाग के छात्रों को उच्च क़्वालिटी शिक्षा देने के लिए  22 वर्ष पूर्व वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर पीसी  पतंजलि के अनुरोध पर तत्कालीन राज्यसभा सांसद व फ़िल्म अभिनेत्री शबाना आजमी ने अपने पिता व देश के माने जाने शायर ,लेखक कैफ़ी आज़मी के नाम पर कैफ़ी संचार भवन की आधार शिला रखी थी साथ ही इस भवन के निर्माण के लिए अपनी निधि से 25 लाख रुपये भी दिया था तथा खुद पैरवी करके राज्यसभा सदस्य अख्तर हसन रिजवी से 15 लाख रुपये दिलवाई थी। यह पैसा कार्यदायी संस्था को अवमुक्त कर दिया गया। इस भवन का निर्माण शुरुवाती दौर में काफी तेजी से चला लेकिन विश्वविद्यालय का निजाम बदलने के कारण इस भवन को ऐसा ग्रहण लगा कि आज तक पूरा नही हो पाया। उसके बाद से इस विश्वविद्यालय की कमान संभालने वाले  हर कुलपति ने बहुप्रतीक्षित भवन का निर्माण पूरा कराने का वादा किया लेकन कोई पूरा नही कर पाया। 

बुधवार को कुलपति ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से बातचीत करते हुए बतायी कि विश्वविद्यालय में कई भवनों का निर्माण अधूरा पड़ा हुआ है जिसमें मुख्य रुप से कैफी जनसंचार भवन शामिल है।इस मामले में जब कुलपति से सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यह लगभग 22 वर्ष पुराना मामला है। कुलपति ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके द्वारा कोशिश की गई। लेकिन निर्माण एजेंसी द्वारा न तो निर्माण कराया गया न ही पैसा वापस  किया गया। कैफ़ी संचार भवन का निर्माण ना होने के कारण तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जनसंचार विभाग के छात्रों को विज्ञान संकाय की बिल्डिंग में पढ़ाया जा रहा है।

पूर्वांचल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर मानस पांडे की पीएचडी को लेकर हुए सवाल के मामले में कुलपति कन्नी काटते दिखी।
जन एक्सप्रेस अखबार के अनुसार वर्ष 2003 में शासन ने वाराणसी की महात्मा गांधी विद्यापीठ की पीएचडी की डिग्री वापस लेने के लिए निर्देश दिए थे। राज्यपाल के पास शिकायत पहुंचने पर बतौर कुलाधिपति यह निर्देश जारी हुए थे जिसका अमल आज तक नहीं हो सका। इस मामले पर जब कुलपति से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह आज सिर्फ दीक्षांत समारोह के बारे में जानकारी दे सकती हैं।
फिलहाल वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति सभी सवालों पर कन्नी काटी नजर आई चाहे वह कैफ़ी संचार भवन का मामला हो या फिर अन्य भवन  का सारे मामले पर आधी अधूरी जानकारी दी ।
मीडिया के सवाल पर अपने आप को बचती नजर आई। कैसी संचार भवन के बारे में उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए कई बार प्रचार किया गया बावजूद इसके भवन का कार्य पूरा नहीं हो पाया जबकि इसके लिए तत्कालीन राज्यसभा सांसद शबाना आजमी ने 25 लाख रुपए तथा डॉ अख्तर हसन रिजवी ने 15 लाख रुपए सांसद निधि से आवंटित किए थे ।लेकिन राजकीय  निर्माण निगम द्वारा पैसा मिलने के बाद भी आज तक भवन का निर्माण नहीं हो सका यदि भवन का निर्माण होता तो अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इस भवन से बहुत कुछ सीखने को मास कम्युनिकेशन के विद्यार्थियों को मिलता। इससे साफ पता चलता है कि कहीं न कहीं गोलमाल है।


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