इन्सान ज़िन्दगी के हर क्षेत्र में सूझबूझ और हिक्मत का परिचय दे

हिन्दोस्तान के शिया उल्मा का ज़िक्र करते हुए कहा कि हमारे उल्मा का सम्मान इराक़ और ईरान के उल्मा की निगाह में आज भी बहुत है इसलिए हम में किसी तरह का एहसासे कमतरी ( हीन भावना) नहीं होना चाहिए हमारे उल्मा भी मरजा, आलम ( विश्व स्तर धर्म गुरु) रह चुके हैं । उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की अज़ादारी इस्लाम का एक ऐसा प्रचार तंत्र है जो हमेशा इस्लाम और पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद ( स.अ.व ) और अहलेबैत (अ.स) के दुश्मनों के मन्सूबों को परास्त करता रहता है । इसलिए अज़ादारी की हिफाज़त किजिए। उन्होंने आयतुल्ला मौलाना महमूदुल हसन खां मरहूम और उनके पिता मौलाना बख़्तावर अली खान मरहूम को याद करते हुए कहा कि ये दोनों भी उल्मा की जमात की उसी कड़ी का हिस्सा थे , जिन्होंने दीने इस्लाम की तबलीग़ और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की अज़ादारी की हिफाज़त में अपनी पूरी ज़िंदगी लगा दी । मजलिस में आयतुल्ला मौलाना सैय्यद हमीदुल हसन ने हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का मसायब पढ़ते हुए
उनकी शहादत का ज़िक्र किया कि किस तरह से इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को कर्बला में तीन दिन का भूखा प्यासा शहीद किया गया उनके बेटे, भाई, भतीजे, भान्जों के अलावा उनके परिवार के अन्य सदस्यों के साथ ही उनके सहाबियों ( साथियों ) को भी भूखा प्यासा शहीद कर दिया गया। मजलिस में मौजूद तमाम मोमेनीन की आंखें अश्कबार हो गईं मजलिस में मौलाना सैय्यद शमीम हैदर रिज़वी शिवली आज़मगढ ने तिलावते कुराने मजीद किया, सैय्यद अली काविश ने सोज़ख़ानी की , सादिक जलालपुरी नक़ी सुल्तानपुरी और मेहदी मिर्ज़ापुरी ने कलाम पेश किया । मजलिस की निज़ामत (संचालन ) मौलाना सैय्यद आबिद रज़ा रिज़वी मोहम्मदाबादी ने किया मजलिस में शिरकत करने वाले तमाम मोमेनीन का शुक्रिया मजलिस के आयोजक आयतुल्ला मौलाना महमूदुल हसन खां मरहूम के सुपुत्र मौलाना महफुज़ुल हसन खां प्रधानाचार्य जामिया ईमानिया नासिरया एवं इमामे जुमा शिया जामा मस्जिद नवाब बाग़ जौनपुर ने अदा किया।