वसुधैव कुटुंबकम" पर आधारित था पंडितजी का चिंतनः प्रो. अजय द्विवेदी

 

जौनपुर।  वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में स्थापित पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के तत्वावधान में शनिवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि पर शिक्षकों ने श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस अवसर पर छात्र अधिष्ठाता कल्याण प्रो. अजय द्विवेदी ने कहा कि पंडित जी का चिंतन भारतीय संस्कृति "किड़वन्तो विश्वमार्यम्" ,"सर्वे भवंतु सुखिनः", "वसुधैव कुटुंबकम" के मूल मंत्र पर आधारित है। पंडित जी की दृष्टि में विकास हमेशा समग्र एवं एकात्म होना चाहिए। पंडित जी का मानना था कि आर्थिक और सामाजिक विषमता को कम करते हुए खुशहाली और समृद्धि लाने के लिए हमें समाज की सबसे छोटी इकाई के परिवार तक आत्मनिर्भरता लानी होगी। वर्तमान भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार इस दिशा में सोचते हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के विचारों को व्यावहारिक जमीन पर उतार रही है। जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ मनोज मिश्र ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के चिंतन पर चलकर ही भारत विश्वगुरु बन सकता है। पश्चिम का विकास मानव जीवन के केवल दो पुरुषार्थ अर्थ और काम पर केंद्रित है, जबकि भारतीय संस्कृति पुरुषार्थ चतुष्टय पर आधारित है। पश्चिम की यह सोच समग्र विकास का द्योतक नही है। इसके साथ ही चतुर्दिक पुरुषार्थ के सभी पहलू धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का समन्वित विचार लेकर आगे बढ़ना होगा। यही पंडित दीनदयाल जी के दर्शन में निहित है। शोधपीठ के सदस्य डॉ अनुराग मिश्र ने कहा कि पंडित दीनदयाल जी के एकात्म मानव दर्शन को छात्रों और आम जनमानस तक पहुंचाने के लिए शोधपीठ लगातार प्रयासरत है। प्रतिवर्ष पंडित दीनदयाल जी के विचारों को लेकर लगातार राष्ट्रीय संगोष्ठीरंगोलीपोस्टर प्रतियोगितासिंपोजियम और वर्कशॉप आदि का आयोजन होता रहता है। इस अवसर पर प्रो. राम नारायणडॉ सुनील कुमार, डॉ दिग्विजय सिंह राठौरडॉ चंदन सिंह, डॉ अवध बिहारी सिंह,  डॉ राहुल कुमार रायडॉ अंकित कुमारडॉ वनिता सिंहडॉ दिनेश कुमार सिंह,  डॉ इंद्रजीत सिंह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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